गजल…………
काफ़ीया- आ-ओगे, मात्रा भार-24 अतीत को अब कब्र से, कैसे निकालोगे गुजरे हुये पैगाम को, कितना निहारोगे वफा सीख लो
Read Moreग़ज़ल (किसी के हाल पर यारों,कौन कब आसूँ बहाता है) दिल के पास है लेकिन निगाहों से जो ओझल है
Read Moreदिले-नादां तुझे समझाऊं कैसे गमों के दौर में मुस्कुराऊं कैसे नगमा -ए-जिंदगी गाना है मुझे बिन साज़ मगर गुनगुनाऊं कैसे
Read Moreयमुना नदी के किनारे सफेद पत्थरों से निर्मित अलौकिक सुंदरता की तस्वीर आगरे का ‘ताजमहल’ न केवल भारत में, बल्कि
Read Moreहमारी गली की नम्बरदारनी इस बात से बहुत परेशान रहती है कि गली के कुत्ते अब उनकी परवाह नहीं करते।
Read Moreरीटा की शादी हो जाने के बाद, घर खाली खाली लग रहा था। संदीप स्कूल चले जाता, मैं और कुलवंत
Read Moreरुक्मिणी के मन की व्यथा ================ करते हो अपने मन की सदा कभी मेरे मन की भी कर लो ना
Read Moreज़िन्दगी तूने दिए , ज़ख्म बहुत, पर हौसला न मेरा , तोड़ पाई है । माना की हैं , दुश्वारियां
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