सामाजिक

दो जून की रोटी

व्यक्ति का जमीनी वास्तविकता से पाला तब पड़ता है जब वह सामाजिक जीवन में भागीदारी सुनिश्चित करता है। व्यवसाय और नौकरी की चिंता से दो चार होने के बाद ही जीवन को भली प्रकार समझ पाता है। जन्म से ही चाहे बालक हो या बालिका घर से एक शिक्षा अवश्य ग्रहण करते हैं जिसमें लड़कों को रोटी कमाने और लड़कियों को रोटी बनाने की बात बतायी जाती है । इस नयी सदी से तो दोनों को ही दोनों बातें समझाना आम हो गया है। हर काम और रूचि इसी मुख्यधारा से जोड़ दिये जाते हैं । अपना व्यक्तित्व इस भार के नीचे दबा रहता है ताउम्र । जो व्यक्ति ज़रा भी अलग हट कर सोचते हैं इससे , उन्हें बाँवरा करार दिया जाता है। शायद यही एक कारण है कि संत अब नज़र नहीं आते सब आम आदमी होकर रह गये हैं, जिनकी सारी जद्दोजहद रोटी कमाने से शुरू होकर उसी रोटी को ऐश्वर्य से पसोसने तक सीमित हो गयी है। पहले ऱोटी का इंतज़ाम कि भूख शांत हो सके और नींद आये, फिर नींद अच्छी आये तो रोटी का अच्छा इंतज़ाम करने की स्फूर्ति मिले । बाकी सब कुछ दोनों के बीच में ।

सारी भटकन
सारा ताम-झाँम
ऐ दो जून की रोटी
सब तुम्हारे ही नाम
.
कि उम्र गुज़र जाती है एहतमाम में … !! ~शिप्रा~

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शिप्रा खरे

नाम:- शिप्रा खरे शुक्ला पिता :- स्वर्गीय कपिल देव खरे माता :- श्रीमती लक्ष्मी खरे शिक्षा :- एम.एस.सी,एम.ए, बी.एड, एम.बी.ए लेखन विधाएं:- कहानी /कविता/ गजल/ आलेख/ बाल साहित्य साहित्यिक उपलब्धियाँ :- साहित्यिक समीर दस्तक सहित अन्य पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित, 10 साझा काव्य संग्रह(hindi aur english dono mein ) #छोटा सा भावुक मेरा मन कुछ ना कुछ उकेरा ही करता है पन्नों पर आप मुझे मेरे ब्लाग पर भी पढ़ सकते हैं shipradkhare.blogspot.com ई-मेल - shipradkhare@gmail.com

5 thoughts on “दो जून की रोटी

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    अति सुंदर दो जून की रोटी

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी शिप्रा जी, अति सुंदर व यथार्थ. बाकी सब कुछ दो जून की रोटी के बीच में. अति सुंदर व सार्थक रचना के लिए आभार.

    • शिप्रा खरे

      हृदयतल से आभार आपकी सुंदर टिप्पणी और विनम्रता के लिये

  • अछे और सही विचार , दो वक्त की रोटी के लिये इंसान बिदेशों में भी जाने को मजबूर हो जाता है और इस रोटी की खातर बिदेशी अपने देश की मट्टी की याद को सीने से लगाए ही इस संसार से अलोप हो जाता है .

    • शिप्रा खरे

      जी सर बिलकुल सही कहा आपने…बहुत बहुत आभार

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