बाल कविता

ठानो तो कुछ कठिन नहीं है

पांच साल का नन्हा बालक, प्यार सभीका पाता था।
नाम भी उसका अनुराग था, सबसे प्रेम निभाता था॥
यों तो उसको सब कुछ आता, गीत सुरीले गाता था।
पर विद्या के क्षेत्र में किंचित्, आगे बढ़ नहीं पाता था॥
पढ़ता-लिखता खूब जतन से, याद न कुछ रख पाता था।
डॉक्टर-वैद्य भी हार गए थे, कुछ भी समझ न आता था॥
ज़ीरो नंबर आने का डर, उसको बहुत सताता था।
देख सभी के ज़्यादा नंबर, मन मसोस रह जाता था॥
एक बार अखबार में उसने, सुन्दर-सा इक लेख पढ़ा।
उससे प्रेरित होकर ठाना, बनना है उसे बहुत बड़ा॥
ध्यान लगाकर पढ़ने से ही, उसके मन की कली खिली।
नंबर अच्छे जब लाया तो, खूब प्रशंसा उसे मिली॥
एक दिवस ऐसा भी आया, जग में उसने नाम कमाया।
ठानो तो कुछ कठिन नहीं है, उसने यह करके दिखलाया॥

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

6 thoughts on “ठानो तो कुछ कठिन नहीं है

  • मनमोहन कुमार आर्य

    प्रेरणादायक एवं सराहनीय कविता। बधाई।

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    वाह बहुत सुंदर सार्थक संदेश प्रद सृजन ——-

    • लीला तिवानी

      प्रिय राजकिशोर भाई जी, लाजवाब व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

  • बहुत अछि और शिक्षा भरपूर बाल कविता .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, अति सुंदर व सार्थक टिप्पणी के लिए आभार.

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