कविता

“मत्तगयंद मालती सवैया”

“सात भगण अंत में दो गुरु”

राघव फिर अब बाण धरो वन में सिय लाल लखन संग आओ
राक्षस घेरि लिए जग को ऋषि जंगल हारि गयो उन लाओ।।
आपुहि आय विचार करो तनि देख अवध कस रूप बनायो
लाल हुई धरती वह पावन जह तुम कोशल नाम धरायो।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ