लघुकथा

लघुकथा : सजावट

अम्मा के खाँसने की आवाज सुनकर, घर सहेजने में लगी रजनी, दीपक से बोली – “पुराना सामान तो स्टोर में रख दिया है, पर इनका क्या करें ?”
दोनों के माथे पर चिंता की रेखाएँ खिंच गयीँ ।

फिर दीपक ने सुझाया – “अम्मा को पीछे वाले कमरे में बिठा देते हैं ।”
रजनी बोली – “बाहर से बन्द करना पड़ेगा । कहीं आफिस वालों के सामने, अम्मा टूटी बत्तीसी और टूटा चश्मा लेकर आ टपकीं, तो हमारी कितनी बेइज्जती होगी !… और हाँ, ये माँ जी की ‘फोटो’ ड्राइंग रूम में जरूर रख देना ।”
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राम दीक्षित ‘आभास’

राम दीक्षित 'आभास'

राम मिलन दीक्षित 'आभास' , माता- प्रेम लता दीक्षित , पिता- राम प्रकाश दीक्षित , जन्म - 18 अगस्त 1987 , स्थायी निवास - ग्राम-पोस्ट अम्बरपुर, सिधौली, जिला सीतापुर (उ.प्र.) , शिक्षा - स्नातक , पुरस्कार - सी.ए. परीक्षा के लिए गोल्ड मैडल एवं प्रमाण पत्र , प्रकाशित कृति - "अन्तस के बोल" (काव्य संग्रह) , विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशन , लेखन विधाएं - छंद , कविता, कहानी , उपन्यास , ग़ज़ल , व्यंग्य , निबन्ध, आलेख , वर्तमान पता- सत्य सदन, 1/118, सेक्टर 1, जानकीपुरम विस्तार , लखनऊ - 226031 Mob. 09919120222 email- rammdixit1@gmail.com

2 thoughts on “लघुकथा : सजावट

  • लीला तिवानी

    प्रिय राम दीक्षित भाई जी, अति मर्मस्पर्शी लघुकथा के लिए आभार.

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