सामाजिक

वृद्ध जन शिखर से नीचे लौटने की तैयारी करें

 

वृद्ध जन अपने परिवार के सुख-दुख में साथ रहे। परिवार के सभी सदस्यों के साथ जुड़ाव और निकटता का अनुभव करें। अपनी जिज्ञासा और रचनात्मकता बढ़ाते रहे। कुछ नया जाने। कुछ नया पढ़े। नई भाषा सीखें। नया कौशल सीखें। नए मित्र बनाऐं। वह सब करें जो अभी तक नहीं कर पाऐं। नए-नए कार्य करें और अपने मन को ताजगी और सक्रियता से भरते रहें। ध्यान करें। प्रार्थना करें। दया, करूणा और विनम्रता जैसे गुणों को सदैव अभिव्यक्त करें। हॅसी-खुशी की भावना बनाए रखे। असंतोष में से संतोष खोजने का प्रयास करें। संतोष में से असंतोष खोजने का प्रयास कभी न करें। अपने कार्यो के परिणाम को स्वीकार करें। अपने बच्चों को प्रोत्साहित करें। उनकी सफलता से संतोष प्राप्त करें।

2. वृद्धावस्था में अकारण ही आशंका और घबराहट बढ़ने लगती है। मांसपेशियों में लचीलापन और हड्डियों में घनत्व कम होने लगता है। शारीरिक हलचल में सुस्ती आने लगती है। शारीरिक क्षमता कम होने लगती है। हमारा शरीर पोषक तत्वों को पर्याप्त मात्रा में गृहण नहीं कर पाता है। अतः प्रातः काल नियमित व्यायाम करें। भ्रमण करें। तरूण पुष्कर में तैरने जाऐं। कुछ देर धूप का आनंद लें। भरपूर फल और सब्जियाॅ खाऐं। मन को सक्रिय रखकर मस्तिष्क की घटती क्षमता को रोके। शारीरिक बदलाव की गति को धीमा करें। वृद्ध व्यक्ति स्वयं को कुछ अधिक सम्मान दें। मन ही मन चिंतित न हों। अंदर ही अंदर स्वयं से अनावश्यक चर्चा न करें। अपने आपको अपनी चिंताओं की बार-बार याद न दिलाऐं। अपने जीवन में कुछ चुने हुए अच्छे व्यक्तियों के नियमित संपर्क में रहे।

3. जब हम वृद्ध हो जाते है तब हमारी शारीरिक क्षमता घटने लगती है। हमारी बढ़ती आयु और घटती कार्यक्षमता शिखर पर टिके रहने में बाधक बन जाती है। अतः यह स्मरण रखे कि सफलता की शिखर हमारे लिए ही सदैव उपलब्ध नहीं रह पाती है। हम अपने मन में कभी भी यह भ्रांति न पाले कि शिखर हमारे लिए ही सदैव सुरक्षित रहेगी। अतः हम अपनी सफलता के शिखर पर पहुॅचकर प्राप्त सफलता का समापन करने की तैयारी करें। शिखर से नीचे लौटने की तैयारी करें। शिखर से नीचे उतरने में कभी विलंब और लापरवाही न करें। यह भी ध्यान रखे कि इस शिखर पर पहुॅचने के लिए युवक/युवतियाॅ आगे बढ़ रही है। अतः शिखर पर उनका स्वागत करे और स्वयं ही नीचे उतरना प्रारंभ करें। हमें उनसे टकराना नहीं चाहिए। उनके धक्के से स्वयं को बचाए रखना चाहिए। शिखर से लुढ़कने या गिरने से बचना चािहए क्योंकि ऐसी घटना से हम निराशा, उदासी और अवसाद में घिर जावेंगे। वृद्धावस्था में अपनी शेष बची ऊर्जा क्षमता और शक्तियों का उपयोग नए-नए क्षेत्रों में करें। छोटे मोटे पारिवारिक, सामाजिक और धार्मिक कार्यो में करें।

4. छोटे से छोटे सहयोग के लिए कृतज्ञ रहे। कृतज्ञता हमें प्रसन्न रखती है। सराहना करने की कला सिखाती है। जब हम किसी वस्तु की दृढ़ता पूर्वक आकांक्षा करते है, तो वह वस्तु हमें प्राप्त हो जाती है। कृतज्ञता से हमें कुछ वस्तुऐं अनायास ही प्राप्त हो जाती है। कृतज्ञता अनेक उपलब्धियों और वस्तुओं को आकर्षित करती है। जब हमें निराशा होने लगे तो हम अपने स्वामित्व की वस्तुओं की सूची बनाऐं। अपने स्वस्थ अंगो की सूची बनाऐं। अपने परिवार के सदस्यों और अच्छे मित्रों के योगदान की सूची बनाऐं। उनके योगदान के लिए उनके प्रति कृतज्ञता प्रदर्शित करें। इस प्रकार अपने जीवन के शुक्ल और सकारात्मक पक्ष को उद्घाटित करें।

5. चुनौतियों से अवश्य निपटे किन्तु उन्हें अपने ऊपर हावी न होने दे। छोटे-छोटे कार्य करने के लिए पक्का संकल्प करें। एक-एक सीढ़ी पार करते हुए पूरे विश्वास के साथ आगे बढ़े। छोटे-छोटे कदमों से धीरे-धीरे चलकर ही लंबी दूरी पार करें। कामकाजी व्यक्ति अपने कामकाज के साथ-साथ अपने परिवार को समय दें। अपने काम का असर अपने परिवार न पड़ने दे भले ही काम कितना भी डिमांडिंग और तनाव से भरा हो। बदले में उनका ढेर सारा प्यार और समर्थन प्राप्त करे। बच्चों को आत्म निर्भर बनाऐं। उनकी शुभकामनाऐं प्राप्त करें। जैसे व्यवहार की हम अपेक्षा करते हैं, वैसा ही व्यवहार सभी से करें। संवेदनशील बनें। जीवन में अच्छे और बुरे दिनों का स्वागत करें। अच्छे दिनों में अधिक प्रसन्न न हों। बुरे दिनों में कभी दुःखी न हों।

सुरेश जैन 

सुरेश जैन

जन्म तिथि- 17 अक्टूबर, 1945 शिक्षा- एम.कॉम, एलएल.बी. मैट्रिक, इण्टर, बी.कॉम, एम.कॉम एवं एलएलबी. में प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान तथा स्वर्ण पदक प्रमुख कार्य- प्रशासनिक, सामाजिक, धार्मिक, न्यायिक एवं साहित्यिक कार्यो ओर संस्थाओं की गतिविधियों से संबंद्ध अनुभव- पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा मध्यप्रदेष राज्य विषेषज्ञ मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष के पद का 6 वर्ष का अनुभव। मध्यप्रदेश के विभिन्न प्रशासनिक क्षेत्रों में कार्य करने का 35 वर्ष का अनुभव कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी, होशंगाबाद, विदिशाएवं बैतूल, संचालक, लोक शिक्षण, मध्यप्रदेश, महाप्रबंधक, मध्यप्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम, अपर आयुक्त, मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण, राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी, मानव बसाव प्रबंध संस्थान, नई दिल्ली, मध्यप्रदेश अकादमी, भोपाल, विद्यासागर इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेन्ट, भोपाल एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों के अतिथि प्राध्यापक लेखन- भारत में पर्यावरण विधि (अॅग्रेजी), मध्यप्रदेश नगर विकास विधि संहिता (हिन्दी) मध्यप्रदेश शिक्षा विधि संहिता (हिन्दी) एवं अल्पसंख्ययक समुदाय विधि संहिता (हिन्दी) एवं बड़े भाई की पाती (हिन्दी) पुस्तको का लेखन एवं 100 से अधिक शोध पत्रों का प्रकाशन. ज्वलंत सामाजिक संदर्भो पर लेख, निबंध एवं भाषण. अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं पर आयोजित सेमीनार एवं गोष्ठियों में सहभागिता एवं शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय संस्थानों के सदस्य विभिन्न राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक शासकीय समितियों के सदस्य आकाशवाणी एवं दूरदर्शन द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में सहभागिता. संस्थाओं का संस्थापन, संचालक एवं सरंक्षण  विद्यासागर इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेन्ट, भोपाल  महावीर ट्रस्ट, इन्दौर  अखिल भारतवर्षीय जैन प्रशासकीय प्रशिक्षण संस्थान, जबलपुर  कार्याध्यक्ष, विद्यासागर विद्यानिधि, सागर ,म.प्र.  संचालक, माॅ जिनवाणी काॅलेज आॅफ प्रोफेशनल स्टडीज, पुष्पगिरि तीर्थ, सोनकच्छ जिला देवास, म.प्र.  शीतल विहार न्यास, विदिशा  महावीर इण्टरनेशनल चेरिटेबल ट्रस्ट, भोपाल  नर्मदा निर्मिति केन्द्र, होशंगाबाद  एस.एस.के.जैन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, नैनागिरि  पारस निर्मिति केन्द्र, नैनागिरि जिला छतरपुर  सन्मति निर्मिति केन्द्र, बरखेड़ा पठानी, भोपाल  संस्कृत विद्यालय, इटारसी जिला होशंगाबाद पर्यटन- विश्व के प्रमुख देशो का भ्रमण, भारत तथा विश्वके अन्य देशो में स्थापित तीर्थो की वंदना रूचि- व्यक्तित्व विकास, अध्ययन एव परोपकार धार्मिक स्थलो का संरक्षण एवं विकास- श्री दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र नैनागिरि, छतरपुर श्री दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र, मुक्तागिरि श्री दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र द्रोणागिरि जिला छतरपुर श्री दिगंबर जैन मंदिर, सांची जिला रायसेन बीजामण्डल एवं रामलीला मैदान, विदिशा बड़ा महादेव मंदिर, पचमढ़ी, होशंगाबाद शैक्षणिक कार्य- शिवपुरी, जयपुर, एवं रामगंजमण्डी में आयोजित यंग जैना अवार्ड के संयोजक, शैक्षणिक क्षेत्र में कार्यरत अशासकीय संगठनों को सहयोग एवं प्रोत्साहन पता- सुरेश जैन (आई.ए.एस.) 30, निशात काॅलौनी, भोपाल, म.प्र. 462 003 अध्यक्ष, जैन तीर्थ नैनागिरि जिला छतरपुर, म.प्र. प्रबंध निदेशक, विद्यासागर इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेन्ट, भोपाल, म.प्र. 462 021 दूरभाष 0755 2555533 (मो) 94250 10111, ई मेल scjain17@gmail.com

2 thoughts on “वृद्ध जन शिखर से नीचे लौटने की तैयारी करें

  • लीला तिवानी

    प्रिय सुरेश भाई जी, अति सुंदर व सार्थक आलेख के लिए आभार.

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सार्थक लेखन

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