राजनीति

पूरी दुनिया में छा गया योग

21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर एक बार फिर भारत का योग पूरी दुनिया में छा गया। भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में योग दिवस की महाधूम रही। जल, थल एवं नभ लगभग सभी जगहों पर किसी न किसी रूप में जनमानस ने योग अपनाया और उसे सीखने तथा स्वस्थ रहने के लिए जीवन में आत्मसात करने का प्रण लिया। भारत में तो योग का उत्साह चरम सीमा पर था ही अरब देशों व अमेरिका से लेकर यूरोप तक योग की धूम रही। भारत की इस तरह से स्वस्थ रहने की परम्परा को पूरे विश्व में फैलाने का श्रेय जहां योगगुरू बाबा रामदेव को जाता है वहीं अंतर्राष्ट्रीय मान्यता दिलवाकर योग को विश्व पटल पर स्थापित करने का श्रेय निश्चय ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही जाता है। यह उन्हीं के प्रयासों का प्रतिफल है कि आज योग का परचम पूरी दुनिया में फहरा रहा है। योग लोगों को जोड़ता है तोड़ता नहीं है। योग शरीर को स्वस्थ रखने की एक महान परम्परा है। हजारों वर्ष पूर्व हमारे महान संत राजा महाराज आदि योग को अपनाकर ही स्वस्थ रहते थे। योग को अब आधुनिक विज्ञान भी अपनी मान्यता प्रदान कर चुका है। इस बात पर कोई संशय नहीं रह गया है कि योग से शरीर को स्वस्थ और फुर्तीला रखा जा सकता है।

पूरे विश्व में इस प्रकार से योग का आयोजन लगातार दूसरे वर्ष किया गया। 21 जून को पूरे भारत में योग पर जनमानस का उत्साह देखने लायक था। इस दिन देश के कई हिस्सों में तेज बारिश के बावजूद योग प्रेमियों का उत्साह ठंडा नहीं हुआ। इस बार योग दिवस की पूर्वसंध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूर्य नमस्कार पर डाक टिकट जारी कर योग को सबसे बड़ा सम्मान प्रदान किया। साथ ही योग दिवस के दिन चंडीगढ़ में आयोजित योग समारोह के अवसर पर जनसमुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो पुरस्कारों की भी घोषणा की है। पीएम मोदी ने कहा कि योग अमीर और गरीब के बीच फर्क नहीं करता है। योग धार्मिक कार्य नहीं है। उन्होंने आम जनमानस से योग को मोबाइल फोन की तरह अपनाने की भी अपील की है। साथ ही उन्होंने मधुमेह जैसी बीमारियों का इलाज भी योग के माध्यम से करने की अपील की। यह बात बिलकुल सही और प्रमाणित हो गयी है कि मधुमेह जैसी बीमारियों को योग सहित अन्य प्राचीन पद्धतियों से नियंत्रित किया जा सकता है। यह बात सर्व स्वीकार्य है कि योग के माध्यम से शरीर और मन से आलस का भाव समाप्त होता है और दिनभर स्फूर्ति और ताजगी बनी रहती है। इस बार दिव्यांगों और गर्भवती महिलाओं ने भी योग करके कई मिथकों को तोड़ने का अद्भुत साहस दिखाया है। फरीदाबाद में तो बाबा रामदेव की अगुवाई में कम से कम आठ विश्व रिकार्ड कायम हो गये।

योग को पूरे विश्व ने ही अपितु समाज के सभी वर्गों व धर्म के लोगों ने अपना लिया है। चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम, या फिर ईसाई, यहूदी और सिख समुदाय के लोग। योग को सीखने में कोई खर्च भी नहीं आता है। योग की लोकप्रियता अब काफी तेजी से बढ़ रही है। योग दिवस के अवसर पर बीसीसीआई के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने क्रिकेट खिलाड़ियों के लिये योग की कक्षाएं खोलने की घोषणा की। अब योग को मेडिकल पाठयक्रमों में भी शामिल करने पर विचार किया जा रहा है। झारखंड के स्कूलों में योग को अनिवार्य कर दिया गया हैं। वहीं पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय में इसी शैक्षणिक सत्र से योग की पढ़ाई शुरू हो जायेगी। योग पर पीएम मोदी का कहना है कि योग से युवाओं को जोड़ा जा सकता है। साथ ही योग के माध्यम से युवा कमाई भी कर सकते हैं। एक प्रकार से योग रोजगार का भी माध्यम है। पीएम मोदी की इस बात का युवाओं पर असर भी हो रहा है। कई विश्वविद्यालय और संस्थान आदि योग पर रोजगारपरक पाठयक्रमों आदि की शुरूआत करने जा रहे है। योग के प्रति युवाओं में जिज्ञासा तेजी से बढ़ रही है। वैसे भी आज के युवाओं ने जिस प्रकार की जीवन शैली को अपना रखा है उससे केवल चिंता, दुःख, एकाकीपन, अवसाद और उससे बढ़कर नशे की प्रवृत्ति बढ़ती है। यदि आज का युवा योग को अपना ले तो उसका जीवन सुखी हो जायेगा। एक प्रकार से नशा यदि युवाओं व समाज को बर्बादी की ओर ले जाता है तो योग से समाज को आबाद भी किया जा सकता है।

21 जून को योग दिवस का आयोजन होने से योग ने लगभग पूरी दुनिया को एकजुट कर दिया है। अमेरिका से लेकर होंडुरास आदि देशों में पूरे उत्साह के साथ योग दिवस मनाया गया। विदेशों में भी योग पर उत्साह देखने लायक रहा। योग को लेकर इस्लामिक देशों व मुस्लिम जगत की सोच में भी क्रांतिकारी परिवर्तन आ रहा है। घोर इस्लामिक देश कतर में योग ने अपनी पहचान बनानी प्रारम्भ कर दी है। ईरान, इंडोनेशिया, मलेशिया जैसे मुस्लिम बहुल आबादी वाले देशों में भी योग की लोकप्रियता बढ़ रही हैं। विगत दिनों बाबा रामदेव ने दुबई में बुर्के में रहने वाली हजारों महिलाओें के साथ योग करके एक कीर्तिमान रच दिया। इसके माध्यम से वे यह दिखा रहे हैं कि योग एक शरीर को स्वस्थ रखने का सशक्त माध्यम है न कि धार्मिक कर्मकांड। उ.प्र. की राजधानी लखनऊ में कई मुस्लिम धर्मगुरूओं ने भी योग किया।
जब पूरे विश्व में योग का परचम फहरा रहा है उस समय भारत के कुछ तथाकथित पीएम मोदी और भाजपा संघविरोधी दलों ने एकजुट होकर योग संबंधी कार्यक्रमों का बहिष्कार करके अपनी बुद्धिमत्ता का प्रस्फुटन पूरी दुनिया के सामने कर दिखाया।

बिहार में आयोजित कार्यक्रमों में सत्तारूढ़ दल के मंत्री व नेतागण अनुपस्थित रहे। पुडडुचेरी में भी योग का बहिष्कार हुआ। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भी योग का बहिष्कार किया। इसके साथ ही लगभग पूरी कांग्रेस ही योगादि कार्यक्रमों से अलग रही। ये वोटबैंक की घृणित राजनीति करने वाले दल योग का महत्व नहीं समझ पा रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार का कहना हैं कि पहले शराबबंदी लागू करो तब योग का आयोजन सफल होगा। वहीं दूसरी ओर केजरीवाल ने आमंत्रण न मिलने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया। असल में ये सभी नेता पीएम मोदी की बढ़ती लोकप्रियता से जले जा रहे हैं। यह नेता नहीं चाहते भारत की जनता और भविष्य का युवा हर प्रकार से सशक्त और मजबूत होकर उभरे। यह सभी दल मुसलमानों को केवल अपना बंधक बनाकर रखना चाहते हैं। मुस्लिम तुष्टीकरण करने वाले सभी दल मुस्लिमों का हित नहीं चाहते अपितु उन्हें इस कदर गुलाम बनाकर रखना चाहते हैं कि उनमें कभी कहीं नयी विचारधारा या स्वतंत्र विचारधारा का विकास न हो सके।

कतर में महिलाओं को योग सिखाने वाली फ्रांसीसी मूल की महिला नूर को अपनी आस्था और योग के बीच कभी कोई विवाद नजर नहीं आता। नूर का मत है कि योग और इस्लाम दोनों ही अध्यात्म हैं। योग के द्वारा लोग मानसिक शांति हासिल कर सकते हैं। लेकिन भारत में तो विरोधी दलों की योग के प्रति सोच ही एकदम विपरीत है। यहां पर योग के प्रति हर बार कोई न कोई्र बेकार का विवाद खड़ा किया गया। चाहे सूर्य नमस्कार को लेकर हो या फिर ऊँ के उच्चारण को लेकर। यह भारत में योग के प्रति कुुछ लोगों की घोर असहिष्णुता को ही प्रकट करती है। जबकि योग वास्तव में परम्परा को समाहित करता है। लोगों को आपस मे जोड़ता है और स्वस्थ रखता है योग।

— मृत्युंजय दीक्षित