गीतिका/ग़ज़ल

रास्ते अंजान से है हमसफ़र कोई नही

रास्ते अंजान से है हमसफ़र कोई नही।
भीड है काफी यहाँ अपना मगर कोई नही॥

देख कर उसको लगा की थी बहुत बेचैन वो।
यूं लगा सारे जहाँ में उस का घर कोई नही॥

घात करते है सदा जो दूसरो के साथ में।
बावफ़ा उनको मिलेगा उम्र भर कोई नही॥

डर अगर कोई मुझे है तो खुदा का है फ़खत।
इस जहाँ के जालिमों से मुझ को डर कोई नही॥

ढूंढते हो क्यूं खुदा को मस्जिदो में दोस्तों।
झाँकिये दिल के सिवा उसका तो घर कोई नही॥

याद में तेरी जहाँ भटका नही मैं दर बदर।
अब बचा मेरी नज़र में वो शहर कोई नही॥

मुद्दतें बीती मगर ये सिलसिला जारी रहा।
बात जब तेरी न हो बीता पहर कोई नही॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.