ब्लॉग/परिचर्चा

रिश्तों की सहेज

”पिता छत्रछाया है,
सृजनहार सरमाया है,
रहस्यमयी साया है.”

 
सच में सृजनहार पिता की माया को जानना अत्यंत सहज नहीं है. माता येन-केन-प्रकारेण अपने मन के भावों को व्यक्त कर देती है, लेकिन पिता इस क्षेत्र में प्रायः असहज हो जाते हैं. कुछ पिता इस क्षेत्र में अनोखी उपलब्धि से एक नया इतिहास रच रहे हैं. सच ही तो है-

 
”पिता जीवन है, सम्बल है, शक्ति है,
पिता सृष्टि में निर्माण की अभिव्यक्ति है,
पिता उंगली पकड़े बच्चे का सहारा है,
पिता कभी कुछ खट्टा कभी खारा है,
पिता पालन है, पोषण है, परिवार का अनुशासन है,
पिता धौंस से चलने वाला प्रेम का प्रशासन है.”

 
हमने एक तस्वीर देखी, जिसमें पिता और बेटे के सिर पर एक ही जगह पर एक ही निशान थे. ऐसा कई बार जन्मजात भी होता है, लेकिन जोश मार्शल की उस तस्वीर की कहानी एकदम अलग लगी. जोश मार्शल का बेटा कैंसर से जूझ रहा है. इस लड़ाई में उसका साथ देने के लिए जो किया वह अनूठा और अतुलनीय है. उनका बेटा गेब्रियल मार्शल मार्शल अब 8 साल का है, 2015 में गेब्रियल के ब्रेन से ट्यूमर निकालने के लिए उसकी कई बार सर्जरी की गईं. उनका बेटा सर्जरी से इतना ज्यादा डर गया, कि वह खुद को राक्षस समझने लगा. ‘उसके गंजे सिर पर सर्जरी के निशान थे और वह उनसे बुरी तरह से घबरा जाता था.’ तब उसके पिता ने ठीक उसी जगह पर वैसे ही चोट का टैटू अपने सिर पर भी बना लिया, ताकि उनका बेटा खुद को अकेला न महसूस करे. मार्शल का बेटा अब बहुत खुश है. वह अपने दोस्तों को बताता कि वह और उसके पापा एकदम जुड़वा भाइयों की तरह दिखते हैं.
इसी तरह एक तस्वीर कैटी और उसके पिताजी की देखी. दोनों गंजे थे. कैटी लेकिमिया से पीड़ित हैं, इसलिए उस के बाल धीरे-धीरे गिरने लगे. एक दिन जब कैटी अपनी मॉम के साथ बाज़ार से घर पहुंचा तो उसने देखा, कि उसके पापा गंजे हो गए हैं. उनके घर आने से पहले पिता ने अपने बाल शेव कर लिए थे. अब कैटी के बाल भले ही उगने लगे हैं, लेकिन उसके पिता अब भी हर रविवार को शेव करते हैं. कैटी अपने ऐसे प्यारे पिता को सबसे ज़्यादा प्यार करता हैं.

 

 

एक ओर जहां पिता संबल है, तो दूसरी ओर पुत्र भी किसी तरह से कमतर नहीं. देखा न किस तरह मुश्किल ट्रांसप्लांट में बेटे ने बचाई पिता की जान! डॉक्टरों ने इस जटिल सर्जरी को सफलता पूर्वक करने में कामयाबी पाई है. एक 23 साल के युवक का लिवर उसके 55 वर्षीय पिता को लगाया गया, जिनका लिवर आखिरी स्टेज पर था. अब दोनों ठीक हैं.
रिश्तों की सहेज अपने आप में एक प्यारी और अनोखी प्रक्रिया है. यह जटिल होते हुए भी तब सरल हो जाती है, जब कोई अपने रिश्ते के प्यार की ख़ातिर सब कुछ भूलकर सिर्फ़ सामने वाले का मुस्कुराता-खिलखिलाता चेहरा देखना चाहता हो. रिश्तों की सहेज के अनेक भावभीने किस्से आपके इर्द-गिर्द या आपकी यादों के दरीचे में अवश्य होंगे, उन्हें शेयर करके देखिए, आप अनुपम आनंद का अनुभव करेंगे. रिश्तों की ऐसी सहेज को हमारे कोटिशः नमन.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

5 thoughts on “रिश्तों की सहेज

  • Man Mohan Kumar Arya

    नमस्ते एवं हार्दिक धन्यवाद आदरणीय बहिन जी। आपके इस आलेख में एक एक बात शिक्षाप्रद एवं प्रेरणादायक है। हार्दिक बधाई। सादर।

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • लीला बहन , लेख अच्छा लगा .कोई भी पिता अपने बच्चे के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी दे सकता है .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. अति सुंदर व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

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