गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका : ऋतु वर्षा

मन भाए मेरे बदरा, भिगा जा मुझे
छाई कारी बादरिया, जगा जा मुझे

मोरी कोरी माहलिया, मुरझाई सनम
रंग दे अपने हि बरना, रंगा जा मुझे॥

काली कोयलिया कुंहुकत, मोरी डाली
राग बरखा की मल्हारी, सुना जा मुझे॥

मोरा आँगन बरसा जा, रे निर्मोहिया
मोर अनारी की सारी, दिखा जा मुझे॥

देखे चातक आकाशा, दिवासा मगन
बूंद स्वाती की थाती, पिला जा मुझे॥

मोर पायल छमक जाये, तन-मन घुंघुरू
पिया सावन माह कजरी, सुना जा मुझे॥

भरल सगरो श्रिंगार मोर, तोर नेहिया
महका जा आपन बगिया, खिला जा मुझे॥

— महातम मिश्रा, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ