उपन्यास अंश

अधूरी कहानी : अध्याय-42 : स्नेहा की इंगेजमेंट

अब समीर डिटेक्टीव समीर बन चुका था उसे इस बात का बड़ा अफसोस था कि वह स्नेहा से इतने गंदे तरह से फेस आया उसने रेनुका एक्सीडेन्ट का सारा श्रेय स्नेहा पर डाल दिया था पर अगर वह ऐसा नहीं करता तो शायद स्नेहा समीर को कभी छोड़कर नहीं जाती।
समीर ने डयूटी ज्वाॅइन कर ली पर उसे स्नेहा की बड़ी याद आती थीं वह सोच रहा था कि उसने स्नेहा के साथ बहुत बुरा किया उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे वह स्नेहा को खुश देखने के लिये उससे अलग हो गया पर उसे एक बार जी भर के देखना चाहता था उसको पता था कि स्नेहा उसके बिना भी खुश नहीं रह पायेगी पर वह करता तो क्या? कुछ समझ नहीं आ रहा था।दोस्तों ने कई बार उससे कहा कि एक बार स्नेहा से मिल ले जो हो गया सो हो गया।फाईनली समीर मान गया था पर वह उस समय चल रहे उधोगपति मर्डर केस में लगा था तो उसने कहा कि वह ये केस सोल्व करते ही स्नेहा से मिलने जायेगा।
समीर को एक अंजान आदमी का फोन आया उसने कहा कि सर आप जिस केस को सोल्व कर रहे हैं उससे जुड़ी एक फाईल मेरे पास है उसमें सारे हत्यारो के नाम है और वे लोग मेरे पीछे पड़े हैं आप जल्दी से यहां आ जाइए उस आदमी नई फोन पर ही अपनी लोकेशन बता दी। समीर ने अपनी टीम को साथ लिया और लोकेशन वाली जगह पर पहुॅच गया वहां कोई नहीं था तभी अचानक एक आवाज ने उसका ध्यान आकर्षित किया समीर वहां दौड़कर गया वहां पर वही आदमी पड़ा था जिसने समीर को फोन किया था।उसे गोली लगी थी और वह अंतिम सांसे गिन रहा था।
समीर ने पूछा फाईल किधर है तब उसने समीर के पीछे की तरफ इशारा किया समीर ने अपने सामने शीशे में देखा और तुरंत साइड हट गया तभी गोली चली और शीशे से जा टकरायी शीशा चखनाचूर हो गया फिर क्या इधर से भी फायरिंग शुरू हो गयी लगभग दस मिनट लगातार फायरिंग के बाद एक आदम वहां से फाइल लेकर भागा उसे देख समीर भी उसके पीछे दौड़ने लगा काफी दौड़ने के बाद उसे लगा कि अब समीर पीछा नहीं छोड़ेगा तब वह आदमी रंगोली पैलेस में चले गया जहां कोई फंगशन जिससे अच्छी-खासी भीड़ थी।
समीर उसे ढूंढते हुए फस्ट फ्लोर पर चला गया वह आदमी जैसे ही फस्ट फ्लोर पर गया तब समीर उसे सामने ही था उन दोनों में फाईट होने लगी उस आदमी ने फाइल नीचे फेंक दी और चाकू निकाला समीर ने उसे धक्का मारा तो वह आदमी भी नीचे भीड़ में आ गिरा समीर भी कूदकर वहां पहुँचा उनके वहा गिरने से सब लोग देखने लगे समीर ने सामने देखा तो स्नेहा खड़ी थी स्नेहा को देखकर समीर के चहरे पर खुशी चमकी पर ये क्या स्नेहा के हाथ में रिंग थी और उसने समीर के सामने वह रिंग सामने खड़े आदमी को पहना दी समीर का ध्यान स्नेहा की तरफ देखकर फाइल वाले आदमी ने समीर पर गोली चलायी गोली समीर के बाॅये हाथ में लगी और वह आदमी वहां से भाग गया ।
समीर का ध्यान स्नेहा की तरफ इस कदर था कि मानो समीर को पता तक न चला कि उसे गोली कब लगी स्नेहा ने न चाहते हुये भी समीर की तरफ से मूॅह फेर लिया और आंशू वहाने लगी। स्नेहा ने जिस सख्स की रिंग पहनायी वह उसका होने वाला पति था यह सोचकर समीर थम सा गया तब तक समीर के टीम मेंबर वहां पहुँच चुके थे ।
समीर के हाथ में गोली लगी देख उसके टीम मेंबरस् ने उसे सहारा दिया और बाहर गाड़ी की तरफ लाने लगे स्नेहा समीर को जाता देखती रही और समीर ने स्नेहा से कभी न मिलने और उसकी निजी जिंदगी में कभी दखल न देने की ठान ली।
डिटेक्टीव करन सूरज की बातों में बिल्कुल खो गये थे उनका ध्यान तब टूटा जब सूरज ने ब्रेक मारा सूरज बोला सर आपका घर आ चुका है तब डिटेक्टीव करन बोला मै एक बार स्नेहा राज से मिलना जरूर चाहूँगा जो अपनी जान से भी ज्यादा समीर को प्यार करतीं थी।
तब सूरज बोला कोशिश कर लीजिए पर यकीन मानिये हम उससे मिलने की कोशिश कर चुके है पर यह शायद ही किसी को पता हो कि वह इस वक्त कहाँ है? और सूरज डिटेक्टीव करन को बाय बोलकर वहां से चला गया।

दयाल कुशवाह

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