कविता

कविता : वीरो तुम्हें सलाम !

न तो दिन था तुम्हारा कोई
न रात, न कोई अपनी शाम !
न घर बार अपना याद तुम्हें
न भेजा कोई तुमने पैगाम !
तुम्हारे लिए तो पूजनीय केवल
ये रण भूमि ही तुम्हारा धाम !
इस देश पर मर मिटने वालों
तुम्हे सदा है हमारा सलाम !
बहाया लहू का इक इक कतरा
न की परवाह क्या होगा अंजाम !
हँसते मुस्कराते चढ़े फांसी पर
न लगाया देशप्रेम पर विराम !
इन्कलाब जिंदाबाद कहते ही
रखी नींव और इक मुकाम !
हलाहल किया उन गौरों को
किया जिन्होनें जीना हराम !
वीर गति को हुए प्राप्त तुम
पर “अमर” रहेगा तुम्हारा नाम !
भारत की जयकार से पहले
गूंजेगा तुम सब का ही नाम !

डॉ सोनिया गुप्ता

डॉ. सोनिया गुप्ता

मैं डॉ सोनिया गुप्ता (बी.डी.एस; ऍम.डी.एस) चंडीगढ़ के समीप,डेराबस्सी शहर में रहने वाली हूँ! दंत चिकित्सक होने के साथ साथ लिखना मेरा शौंक है! २००५ में पहली बार मैंने कुछ लिखने की कोशिश में अपनी कलम उठाई थी और, आगे ही आगे लिखने का सफर चलता रहा! कुछ कविताएँ हरियाणा की पत्रिका “हरिगंधा में प्रकाशित हुई! मेरी हाल ही में दो काव्य संग्रह प्रकाशित हुई हैं! मैं अंग्रेजी में भी कविताएँ लिखती हूँ, और कुछ पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हुई! मेरे तीन अंग्रेजी और तीन हिंदी के काव्य संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होने वाले हैं! कवियत्री होने के साथ साथ मुझे चित्रकारी, गायिकी, सिलाई, कढाई, बुनाई, का भी हुनर प्राप्त है! मेरे जीवन की अनुकूल परिस्थितयों ने मुझे इन सब कलाओं का अस्तित्व प्रदान किया! कहते हैं, ”इरादे नेक हों तो सपने भी साकार होते हैं, अगर सच्ची लग्न हो तो रास्ते भी आसान होते हैं”..अपनी लिखी इन्हीं पंक्तियों ने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया आगे बढने के लिए ! मेरा हर कार्य मेरे ईश्वर, मेरे माता पिता को समर्पित है, जिनके आशीष से मैं आज इस मुकाम तक पहुंची हूँ ! आशा है मेरी कलम से तराशे शब्द थोड़े बहुत पसंद अवश्य आएँगे सभी को!!!