कविता

कविता : वर्षा

वर्षा की बूँदें पड़ती हैं जब
प्यासी धरा के अधर पे
उठती है एक सोंधी सुगन्ध
खिल उठती है हर कली
और महकने लगते हैं फूल
पिय के आगमन पे जैसे
हरी चुनर ओढ़ बैठ गई हो
नवयौवना कोई वैसे ही
धरती ओढ़ लेती है
हरियाली का आवरण
मुरझाये पौधे भी े
हरिहराने लगते हैं जैसे
मिल गई हो टूटते साँसों को
कुछ और पल जीवन के
जिसे जी लेना चाहता वो
बून्द बून्द करके।।

-सुमन शर्मा

सुमन शर्मा

नाम-सुमन शर्मा पता-554/1602,गली न0-8 पवनपुरी,आलमबाग, लखनऊ उत्तर प्रदेश। पिन न0-226005 सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें- शब्दगंगा, शब्द अनुराग सम्मान - शब्द गंगा सम्मान काव्य गौरव सम्मान Email- rajuraman99@gmail.com