कविता

कविता

केसर की क्यारी से आई सोंधी बयार ,
महक उठा सखी मेरा सूना आगार है!
अलसाई ऊषा ने खोल दिये मुंदे नयन,
सूरज की किरणों ने किया श्रंगार है!

विरहन के होठों पर सजे सखी प्रेम गीत ,
मन के उपवन में अब छाई बहार है!
भीत पर जड़ी छवि मुस्काती मंद मंद,
भेज दिया सविता ने नवल उपहार है!

नीड़ छोड़ संग उड़े ,मन को लगे हैं भले,
पंछियों के कलरव से गुंजित संसार है,
कोयलिया कुहुक उठी, छेड़ी है मधुर तान,
गीतों से झूम उठा मेरा घर बार है!

काव्य मय हुआ जगत सम्यक और सार्थक भी ,
छंट गया कुहासा, मन झूमे बार बार है,
उगी एक नन्हीं कली, सूखे हुए ठूँठ पर,
बरखा की रिमझिम में, छेड़ी मल्हार है!

लता यादव

लता यादव

अपने बारे में बताने लायक एसा कुछ भी नहीं । मध्यम वर्गीय परिवार में जनमी, बड़ी संतान, आकांक्षाओ का केंद्र बिन्दु । माता-पिता के दुर्घटना ग्रस्त होने के कारण उपचार, गृहकार्य एवं अपनी व दो भाइयों वएकबहन की पढ़ाई । बूढ़े दादाजी हम सबके रखवाले थे माता पिता दादाजी स्वयं काफी पढ़े लिखे थे, अतः घरमें पढ़़ाई का वातावरण था । मैंने विषम परिस्थितियों के बीच M.A.,B.Sc,L.T.किया लेखन का शौक पूरा न हो सका अब पति के देहावसान के बाद पुनः लिखना प्रारम्भ किया है । बस यही मेरी कहानी है