रिश्तों की सहेज
”पिता छत्रछाया है, सृजनहार सरमाया है, रहस्यमयी साया है.” सच में सृजनहार पिता की माया को जानना अत्यंत सहज
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Read Moreअपने होने के हर एक सच से मुकरना है अभी ज़िन्दगी है तो कई रंग से मरना है अभी तेरे
Read Moreजब भी यादों में सितमगर की उतर जाते हैं काफिले दर्द के इस दिल से गुजर जाते हैं तुम्हारे नाम
Read Moreशब्द ही हंसाते हैं शब्द ही रुलाते हैं शब्दों से ही ख़ुशी, शब्द से ही दुःख हर एक मुस्कराहट के
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