बाल कहानी

मेरा सच्चा दोस्त

बहुत बार आवाज़ लगाने पर भी जब वरूण नहीं रुका को कुणाल को लगा कि वरुण उससे नाराज़ है शायद इसिलिए पलट कर उसकी ओर नहीं देखा। आज घर में भी कुणाल का मन उदास रहा उसने ठीक से खाना भी नहीं खाया। माँ के पूछने पर कुछ नहीं बताया बस इतना ही कहा कि स्कूल का काम बहुत है इसिलिए मन नहीं है, पर माँ जानती थी कि बात कुछ और है। कुणाल और वरुण दोनो बहुत अच्छे दोस्त हैं और जब तक कुणाल वरुण से दिन में दो तीन बार मिल कर बातें न कर ले उसका मन उदास रहता है। वो कुणाल के घर के पास रहता था और स्कूल और कक्षा एक ही होने की वजह से भी दोस्ती गहरी थी। कुणाल अपनी बात मनवाने के लिए कभी कभा वरुण को नाराज़ होने का वास्ता दे देता था। पर वरुण थोड़ा समझदार था। वो हमेशा सही बात का साथ देता था। दोनो पांचवी कक्षा के विधार्थी थे। वरुण को कहीं कहीं यह बात खलती थी कि कुणाल गल्त ज़िद्द मनवाने के लिए जो बार बार दोस्ती का वास्ता देता था। वरुण भी कुणाल से बहुत प्यार करता था और वो यह भी जानता था कि कुणाल जैसा भी है दिल का बुरा नहीं है और वो भी वरुण से बहुत प्यार करता है और उससे जब तक बात न कर ले उसका मन उदास रहता है। क्योंकि वरुण उसे अच्छी राय भी देता था और उसके लिए यहां तक हो सके काम में या पढ़ाई में मदद भी करता था। दोनो हमउम्र थे पर वरुण कुणाल से ज्यादा समझदार और सुल्झा हुआ था। कुणाल में ज़रूरत से ज्यादा बचपना था और वो वरुण के होते हुए अपना काम उस पर सौंप कर बेफिक् हो जाता था और लापरवाह होता जा रहा था। वरुण उसको बहुत समझाता था कि दोस्ती अपनी जगह है पर तुम्हें खुद अपने काम को करना सीखना होगा नहीं तो तुम आगे अच्छा नहीं कर पाओगे। फिर वार्षिक इम्तिहान सिर पर थे और कुणाल वरुण को परेशान करने लगा पर वरुण ने कुणाल को अनदेखा करना शुरू कर दिया। कुणाल ने बहुत बार पीछा करने की कौशिश की वरुण से कारण जानने की कौशिश की कि तुम मुझसे बात कम क्यों करने लगे हो पर वरुण कुछ नहीं बोलता था वो कहता था कुछ नहीं मुझे पढ़ना है बस। कुछ दिन तो कुणाल बहुत परेशान रहा पर फिर तंग आकर वो भी पढ़ने में व्यस्त हो गया अब तो वो बहुत डर गया था क्योंकि आगे तो वरुण उसकी मदद कर देता था पर इस बार उसे खुद ही सब करना था। फिर इम्तिहान भी शुरू हो गए और नतीजा भी निकल गया वरुण को जब पता चला कि कुणाल बहुत अच्छे अंकों से पास हुआ है और बस कुछ अंको का ही फर्क था उन दोनों के नतीजे में वरुण भाग भाग कर कुणाल के पास गया और उसे गले लगाकर कहा यार कुणाल यही को मैं चाहता था कि तुम मुझ पर निर्भर रह कर अपनी पढ़ाई के साथ समझोता न कर के मेहनत करना सीखो और अपने काम खुद करना सीखो ताकि हम दोनो सही मायने में भी सच्चे और सही दोस्त बने । तुम्हारे आने वाले वक्त के लिए भी यही ठीक था। तुम जब भी पुकारोगे मैं तुम्हारे साथ ही मिलूंगा पर अपने हिस्से की मेहनत और काम तुम्हें खुद करने होंगे जो तुम्हारे भविष्य के लिए सही है। मैं चाहूंगा तुम मुझसे भी आगे बड़ो दोस्त। कुणाल जिसे अपना अच्छा दोस्त मानता था अब वो उसे अपना सच्चा दोस्त भी मानने लगा था।।।
कामनी गुप्ता ***

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |