कविता

कविता : मेरे भय्या

तेरे साथ जो बीता बचपन
कितना सुन्दर जीवन था,
ख़ूब लड़ते थे फिर हँसते थे
कितना सुन्दर बचपन था,
माँ जब तुझको दुलारती
मेरा मन भी चिढ़ता था
तू है उनके बुढ़ापे की लाठी
ये मेरी समझ न आता था,
स्कूल से जब तू छुट्टी करता
मेरा मन भी मचलता था
फिर भी मैं स्कूल को जाती
ये मेरा एक मकसद था।

बड़े हुए हम और बीता बचपन
फिर तुझको बहना की सुध आई
हुई जब विदा तेरी बहना
तेरी आँखें भर आई,
अब याद आता है बीता बचपन
कैसे हम हमझोली थे
एक दूसरे की शिकायत करते
फिर भी हम हमझोली थे।
आ गई राखी भय्या अब तो
तेरी बहना घर आयेगी
राखी बाँध तेरे हाथों में
बचपन की याद दिलाएगी।

— सीमा राठी

सीमा राठी

सीमा राठी द्वारा श्री रामचंद्र राठी श्री डूंगरगढ़ (राज.) दिल्ली (निवासी)

3 thoughts on “कविता : मेरे भय्या

  • राजकुमार कांदु

    बहन भाई के नोकझोक और प्यार को दर्शाती बढ़िया रचना !

  • राजकुमार कांदु

    बहन भाई के नोकझोक और प्यार को दर्शाती बढ़िया रचना !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहन भाई के पियार को दर्शाती एक प्रेरत कविता .

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