कविता

कितने क्षण और हैं…

कितने क्षण और हैं

तेरी प्रतीक्षा केे,

रात्री की निद्रा पर

अंकुश सा लग गया है,

प्रेम के कारण मैं तुम्हें

अपने प्रत्यक्ष कभी-कभी

ऐसे महसूस करता हूँ

जैसे मेरे समक्ष वाकई

तुम बैठकर मुझसे

बातें करती हो|

 

  • कवि योगेन्द्र जीनगर “यश”

योगेन्द्र जीनगर

मेरा नाम योगेन्द्र जीनगर "यश" S/o सुंदर लाल जीनगर है| मैं कांकरोली,राजसमंद (राजस्थान) का निवासी हूँ| मेरी उम्र 21 वर्ष है| वर्तमान में स्नातक में अध्ययनरत हूँ और मैंने बी.एस.टी.सी. अध्यापक प्रशिक्षण किया है| मेरी रूचि हिन्दी रचनाएँ लिखने में है|