कविता

ज़िन्दगी

कैसे-कैसे दिन दिखाती
है ज़िन्दगी
खुशी में रूलाती है
गम में हंसाती है
खुशी में भी छलकते आँसू
और दर्द छुपाने की खातिर
आ जाती है हंसी
उलझनों को सुलझाती
जज्बातों की उथल-पुथल मचाती
कठिन परीक्षा सी होती है ज़िन्दगी
सुख-दु:ख के किस्सों भरी
कहानी सी बन जाती ज़िन्दगी
हर घड़ी नया रूप लिये
हर पल बदलती
किसी रंगमंच सी होती
है ज़िन्दगी
मुट्ठी से रेत सी
फिसलती जाती
सांसों की डोर तोड़
थम जाती है ज़िन्दगी |

नीतू शर्मा 'मधुजा'

नाम-नीतू शर्मा पिता-श्यामसुन्दर शर्मा जन्म दिनांक- 02-07-1992 शिक्षा-एम ए संस्कृत, बी एड. स्थान-जैतारण (पाली) राजस्थान संपर्क- neetusharma.prasi@gmail.com

2 thoughts on “ज़िन्दगी

  • राजकुमार कांदु

    बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने । इतनी छोटी सी उम्र में भी आपका तजुर्बा वरिष्ठों से भी बेहतर प्रतीत होता है जिसे आप शब्दों में बयान करना भी बखूबी जानती हो । आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए एक और बढ़िया रचना के लिए आपका आभार ।

    • नीतू शर्मा

      उत्साहजनक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आदरणीय ।

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