कविता

गौ माता

गाय को माता सब कहते
पर कितना फर्ज़ निभाते
आवारा पशु वो कहलाती
क्या ये ही फर्ज निभाते ?

जब तक गरज है हमे दुध की
करते लालन पालन सब
बंद हुआ जब दुध गाय का
घर से बाहर करते सब

कोई गौशाला छोड़ आया
कोई फिरने दे आवारा
कोई बेच आये कसाई को
क्या यही है फर्ज हमारा

शास्त्रों के अनुसार गाय में
संसार के देव समाते
जिसमे सारे देव समाये
उसको हम बिसराते

ममता का है भाव गाय मे
हरी घास वो खाती
बदले मे हमको क्या नही देती
क्या हमे समझ नही आती

आवारा छोड़ा गलियों मे
खाने के है लाले पडतेे
कूड़ा कर्कट खाना पड़ता
लोगों के डंडे पडते

गऊ मे ममता का भाव भरा
जब सृजन गऊ का होता
एक बच्चा वापस गऊ बनता
एक बैल वजन है ढोता

है उन्हे जरुरत स्नेह प्यार की
जो हमने है अब छोडा
गौशाला मे जाकर भी
हम कर सकते कुछ थोडा

माना संभव नही है अब
हर घर मे गऊ पालन
सेवा उनकी जो कर पाये
वो करते फर्ज का पालन

लागू हो कानून देश में
गौ की हत्या पर रोक लगे
हमको भी अपना फर्ज़ निभाना
गौ पालन का भाव जगे।

$पुरुषोत्तम जाजु$

पुरुषोत्तम जाजू

पुरुषोत्तम जाजु c/304,गार्डन कोर्ट अमृत वाणी रोड भायंदर (वेस्ट)जिला _ठाणे महाराष्ट्र मोबाइल 9321426507 सम्प्रति =स्वतंत्र लेखन

6 thoughts on “गौ माता

  • राजकुमार कांदु

    नकली गौ भक्तों को सिख देती और समाज को गाय के लिए कुछ करने की नसीहत देती बढ़िया रचना ।

    • पुरुषोत्तम जाजू

      शुक्रिया, महोदय

    • पुरुषोत्तम जाजू

      शुक्रिया, महोदय

  • अर्जुन सिंह नेगी

    बहुत सुन्दर रचना!

    • पुरुषोत्तम जाजू

      शुक्रिया,आदरणीय

    • पुरुषोत्तम जाजू

      शुक्रिया

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