मुक्तक/दोहा

नेता लालू कह रहे…

अमीर दौलत जोड़ते ,गरीब ढोता लाश ,
विलसित नेता जी हुए, कौन करे प्रकाश ||

बाढ़ राहत योजनाये ,चढ़ी बहुत परवान ,
जनता भूखी मर रही,रोता मिला किसान ||

जलथल सारा एक हुआ ,एक दिखे आकाश,
श्मशान तक गायब हैं, सडती मिलती लाश ||

बढ़ी बाढ़ को देखकर,जनता करे पुकार ,
नेता लालू कह रहे, हो गंगा सत्कार ||

चीख-पुकार मची हुई,बाढ़ से परेशान ,
कहो पार कैसे बसे, मच्छर भी हैवान || ——– विजयलक्ष्मी

विजय लक्ष्मी

विजयलक्ष्मी , हरिद्वार से , माँ गंगा के पावन तट पर रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ हमे . कलम सबसे अच्छी दोस्त है , .