कविता

“मनहर घनाक्षरी”

यह चार पदों(पंक्तियों मे) लिखा जाने वाला वार्णिक छंद है।
8/8/8/7 पर यति अर्थात प्रति पंक्ति 31 वर्ण,
भाव प्रभाव रचना मे तुकांत लघु गुरु पर अनिवार्य।
दाना मांझी को बताई, प्रशासन ने अधिक, लाचारी जो लिए चली, चलन बीमार है
कितने आए हैं यहाँ, तेरे जैसे बीमार ले, रोते गिड़गिड़ाते ही, जो दर किनार हैं।

तेरा भार तूं ही उठा, अर्थी को कंधे से लगा, जा रे जा भाग यहाँ से, यहाँ क्या अनार है
घिसटते कुचलते, जीते मरते पार है, बदनुमा दाग लिए, सड़क बेजार है।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ