कविता

पिंजरे का तोता

चोंच है मेरी लाल लाल
और पंख हैं मेरे हरे
आज बताता हूँ मैं तुमको
जख्म हैं कितने गहरे ।

सुन्दरता ही मेरी दुश्मन
निज किस्मत पर रोता हूँ
चुप न रहूँगा आज कहूँगा
मैं पिंजरे का तोता हूँ ।

पेड़ के कोटर में ही मेरी
दुनिया से पहचान हुयी
बिता बचपन हुआ बड़ा मैं
हर मुश्किल आसान हुयी ।

स्वच्छ गगन में विचरण करता
हरियाली में सोता हूँ
चुप न रहूँगा आज कहूँगा
मैं पिंजरे का तोता हूँ ।

कलरव करता पेड़ों पर के
तरह तरह फल खाता था
पीकर ठंडा जल झरने का
फुला नहीं समाता था ।

बंधू सखा सब साथ हैं मेरे
एक झुण्ड में होता हूँ
चुप न रहूँगा आज कहूँगा
मैं पिंजरे का तोता हूँ ।

छोटी सी लालच का मैंने
कीमत बड़ा चुकाया है
डाल के दाना जाल बिछाके
मुझको बड़ा फंसाया है ।

लाकर कैद किया पिंजरे में
हालत पर मैं रोता हूँ
चुप न रहूँगा आज कहूँगा
मैं पिंजरे का तोता हूँ ।

कैद नहीं थे तुम फिर भी
सबने इतनी कुरबानी दी
बहनों ने सुहाग दी तो
लड़कों ने अपनी जवानी दी ।

आजादी के जज्बे की मैं
कदर बड़ा ही करता हूँ
चुप न रहूँगा आज कहूँगा
मैं पिंजरे का तोता हूँ ।

जैसे तुमको जान से प्यारी
है अपनी आजादी
कैद करो ना किसी जीव को
सब चाहें आजादी

सब आजाद हों यह सोचूं मैं
जागूँ चाहे सोता हूँ
चुप न रहूँगा आज कहूँगा
मैं पिंजरे का तोता हूँ ।

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।

8 thoughts on “पिंजरे का तोता

  • अर्जुन सिंह नेगी

    महोदय जी, अत्यंत सुन्दर और वाकई मे परिपक्व रचना , आप सुधीजनों की रचनाये पढ़ कर हम भी सीखा करते हैं

    • राजकुमार कांदु

      प्रिय अर्जुन जी ! आप प्रतिभावान है और आपकी सभी रचनाएँ बेहतरीन और सोचने पर विवश करनेवाली होती हैं । सार्थक और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद ।

    • राजकुमार कांदु

      प्रिय अर्जुन जी ! आप प्रतिभावान है और आपकी सभी रचनाएँ बेहतरीन और सोचने पर विवश करनेवाली होती हैं । सार्थक और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद ।

  • लीला तिवानी

    प्रिय राजकुमार भाई जी, आपके तोते महाशय ने किस खूबी से आज़ादी की कीमत समझा दी है. अति सुंदर व सार्थक काव्यमय रचना के लिए आभार.

    • राजकुमार कांदु

      श्रद्धेय बहनजी ! तोते ने जो कहने की कोशिश की है काश ! उसे लोग समझ पाते और उसपर अमल करते । अतिसुन्दर उत्साहजनक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद ।

    • राजकुमार कांदु

      श्रद्धेय बहनजी ! तोते ने जो कहने की कोशिश की है काश ! उसे लोग समझ पाते और उसपर अमल करते । अतिसुन्दर उत्साहजनक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद ।

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    राजकुमार भाई , बहुत खूब , कविता अछि लगी .सचमुच आजादी से बड़ी कोई चीज़ नहीं .

    • राजकुमार कांदु

      जी आदरणीय भाईजी । आजादी सभी को प्यारी है इन्सान हो या अन्य कोई प्राणी । पिंजरे में बंद एक तोते को जबान देने की कोशिश की है । रचना आओअको अच्छी लगी यह पढ़कर बहुत अच्छा लग रहा है । त्वरित और सार्थक प्रतिक्रिया के लिये आपका ह्रदय से धन्यवाद ।

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