ग़ज़ल
है कितनी तार तार इंसानियत मैं क्या बताऊँ इंसानियत जो तोले वो तराज़ू कहाँ से लाऊँ लज्जा नहीँ आती सुनो
Read Moreलाला का यह जन्म दिन, रोहिणि खासम खास बुधवारी तिथि पावनी, गुरूवार उपवास गुरुवार उपवास, उदित यह महिमा भारी मथुरा
Read Moreलाली उगी सुबह लिए, पूरब सूरज तात नवतर किरणें खेलती, मन भाए प्रभात मन भाए प्रभात, निहारूँ सुन्दर बेला भ्रमर
Read Moreख़ुशी मिली है ख़ुशी मिली है यारों मुझको ख़ुशी मिली है…… मेहनत लगन अधीर हुई थी करम करत तन पीर
Read Moreपंछियों की तरह हो यह जीवन ऊंची उड़ान, न हो कोई बंधन ! न सीमाओं का घेरा हो कोई न
Read Moreचोंच है मेरी लाल लाल और पंख हैं मेरे हरे आज बताता हूँ मैं तुमको जख्म हैं कितने गहरे ।
Read Moreन मारो बेटियों को न मारो बेटियों को ‘ उन्हें पैदा होने दो न जाने कौनसी बेटी का जग में
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