मुक्तक/दोहा

दोहे

पहन मुखौटे झूठ के, करते लोग कमाल ।
जो दिल छलनी कर रहे, वही पूछते हाल ।।
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रसना में रस घोलिए, मत करिए रसहीन ।
रसना में रस ना रहें, सब कुछ लेती छीन ।।
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धनिक जनों को देखिये, कितना है अभिमान ।
बात करें तो यूं लगे, करते ज्यों अहसान ।।
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काया सुन्दर पाइ के, क्यूँ इतना इतराय ।
यह तन माटी का बना, माटी में मिल जाय ।।
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तेरा मेरा क्यों करे,क्या तू लेगा पाय ।
समय निकलता हाथ से,अंतकाल पछताय ।।
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हरि ही जग का सार है, बाकी सब बेकार ।
हरि सुमिरन में मन लगा, तज दे विषय विकार ।।
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नीतू शर्मा 'मधुजा'

नाम-नीतू शर्मा पिता-श्यामसुन्दर शर्मा जन्म दिनांक- 02-07-1992 शिक्षा-एम ए संस्कृत, बी एड. स्थान-जैतारण (पाली) राजस्थान संपर्क- neetusharma.prasi@gmail.com

4 thoughts on “दोहे

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छे दोहे !

  • राजकुमार कांदु

    आपकी हर रचना में आज के जीवन की सच्चाई बयान होती है । आपका इस अल्प उम्र में इन सच्चाइयों से रूबरू होना आश्चर्यजनक है । उज्जवल भविष्य की शुभकामनाओं के साथ बेहतरीन रचना के लिए आभार ।

  • राजकुमार कांदु

    आपकी हर रचना में आज के जीवन की सच्चाई बयान होती है । आपका इस अल्प उम्र में इन सच्चाइयों से रूबरू होना आश्चर्यजनक है । उज्जवल भविष्य की शुभकामनाओं के साथ बेहतरीन रचना के लिए आभार ।

    • नीतू शर्मा

      बहुत बहुत आभार आदरणीय ।

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