नेता
नेता एक दुर्लभ प्रकृति का
वह आम व्यक्ति है
जो दोहरी जिंदगी जीने की
कला जानता है
जो
प्रचण्ड जीत या
करारी हार
जनता का प्यार या
अण्डे टमाटरों की मार
कार्टूनों के अपमान या
सत्कारों से मिले पुष्पहार
हर हाल में सिर्फ एक नेता-भाव से जीता है ।
चीखता है, चिल्लाता है, धज्जियाँ भी उड़ाता है ।
विरोधियों के अपमान को गटागट पी जाता है ।
किसी भी तरह की मार से कभी नहीं रोता है ।
किसी भी दोषारोपण से भयभीत नहीं होता है ।
सरल या विकट परिस्थिति में अटल रहता है ।
इतना दम्भी आत्मविश्वास जाने कहाँ से लाता है ?
हर रोज उन्हीं गलियों में हाथों को जोड़े हुए
मुस्कुराहट की चिरप्रशिक्षित सी मुद्रा में
हमेशा मिल जाता है ।
मानो कुछ हुआ ही नहीं है ।
क्योंकि वो निश्चिंत है ।
आज हार तो कल जीत निश्चित है ।
प्रजातंत्र में विकल्प सीमित है ।
रोटेशन का जमाना है ।
आज नहीं तो कल आना है ।
वादों प्रतिवादों के रैपर बदलते रहते हैं ।
अंदर तो वही एक-सा खजाना है ।
आज इनका तो कल उनका
जनता तो सिर्फ एक खाना है ।
जो जनता को सही मायनों में खाता है ।
वही नेता कहलाता है ।
क्या बात , सटीक रचना ! नेताओं की पोल खोल रचना
क्या बात , सटीक रचना ! नेताओं की पोल खोल रचना