कविता

मेरी दुनिया डुबाई

मै हल चलाता था

मै बीज बोता था

मैंने फसल उगाई

पग पग जोह कर

उम्मीद बनाई

काले कोट के खेल ने

मेरी दुनिया डुबाई ||

मेरी दुनिया डुबाई ||

के एम् भाई

के.एम. भाई

सामाजिक कार्यकर्त्ता सामाजिक मुद्दों पर व्यंग्यात्मक लेखन कई शीर्ष पत्रिकाओं में रचनाये प्रकाशित ( शुक्रवार, लमही, स्वतंत्र समाचार, दस्तक, न्यायिक आदि }| कानपुर, उत्तर प्रदेश सं. - 8756011826