ब्लॉग/परिचर्चा

उपलब्धियों के राजकुमार

एक  लेखक, जिसने 4 अगस्त से एक स्थापित लेखक की भांति साहित्य-सृजन शुरु किया हो, 14 सितम्बर तक जिसकी 35 नायाब रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हों, जिसकी हर रचना वैविध्य लिए हुए हो और प्रशंसनीय भी, जिसने 40 दिन में संस्मरण से लेकर यात्रा-वृतांत, व्यंग्य, कविता, सामाजिक सरोकार, राजनीति और समाज, गीत-नवगीत तक की यात्रा की हो, जिनका नाम भी राजकुमार हो, उनके लिए हमें ”उपलब्धियों के राजकुमार” का विशेषण ही उपयुक्त लगता है. आप समझ ही गए होंगे, कि आज हम भाई राजकुमार कांदु की बात कर रहे हैं. आज उनका जन्मदिन है. राजकुमार भाई का संक्षिप्त लेकिन संपूर्ण परिचय है-

 
”मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।”

 
राजकुमार भाई, तेज़ी से पूरी होती हुई इस फरमाइश ने अब तेज़ी से पूरी होती हुई इस ख़्वाहिश का रूप ले लिया है. ख़्वाहिश इसलिए भी कह रहे हैं, कि आपके अपने शब्दों में- ”जिम्मेदारियों के बोझ तले दबकर लिखने की प्रबल इच्छा मन में ही दफ़न हो गयी.” लेकिन अब जब आपका लेखन शुरु हो ही चुका है, तो लेखन की जिम्मेदारियों के साथ-साथ आप घर व समाज की जिम्मेदारियां भी बखूबी निभा रहे हैं. आपके जन्मदिन पर आपको शुभकामनाएं देते हुए पाठकों को हम आपकी रचनाओं से परिचित करवाते हैं.

 

 

राजकुमार भाई ने 4 अगस्त से ‘जय विजय’ पत्रिका में संस्मरण से एक स्थापित लेखक के रूप में अपना लेखन प्रारम्भ किया. किन्नरों पर आधारित उस संस्मरण ने अपना ब्लॉग पर और जय विजय पर खूब वाहवाही पाई. फिर एक प्रेरक कथा से उन्होंने जीवन के सत्य पर सोचने को विवश कर दिया. उनके संस्मरण के झरोखे से माता वैष्णो देवी यात्रा वृत्तान्त निःसृत हुआ, जो अभी तक चल रहा है.है. ”ख़ुदा की अकलमंदी” में बचपन की यादें, फिर पोते सार्थक के जन्मदिन पर उसकी शरारत का बहुत खूबसूरती से वर्णन किया है. ”चाय पर चर्चा” में सामाजिक व राजनीतिक सरोकार का बेहद नायाब चित्रण किया गया है.

 

 
भजनों में भी राजकुमार जी को काबिलियत हासिल है. गिरधर गोपाल, मां शेरांवाली, गणपति पर बेहद खूबसूरत भजन राजकुमार जी की लेखनी से जिर्झरित हुए हैं. गणपति से याद आया, अभी-अभी हुए श्री गणेश-विसर्जन के बहाने से उन्होंने कुरीतियों और फैलाए जाने वाले प्रदूषण की प्रवृत्ति पर गहरी चोट की है. बेटियों के दर्द को इन्होंने अपनी आवाज़ दी है. ”पिंजरे का तोता” कविता से तोते की ज़ुबानी आज़ादी का मूल्य बताने का सराहनीय प्रयास किया है. लघुकथा ”पत्थर का शेर” में बालमन की सहज जिज्ञासा की प्रस्तुति बहुत सहज लगी. इसी तरह ”स्वर्ग का टिकट” में भी आध्यात्मिक सीख मिलती है. ”आधुनिक बच्चे” कविता में मोबाइल, सोशल मीडिया और बच्चों का ख़ासा तालमेल दर्शित हुआ है. ”कुछ दिन का बसेरा” में गीत-नवगीत के साथ गज़ल का भी लुत्फ़ मिला. राजकुमार भाई की वेबसाइट है-

 
https://jayvijay.co/author/rajkumar/

 

 

राजकुमार भाई-

”सूर्य-सी दमक हो आपके जीवन में,
चंदा-सी चमक हो आपके तन-मन में,
फूलों-सी महक से महकते रहें और महकाते रहें,
प्यारी-प्यारी रचनाएं साहित्य के चमन में,
जन्मदिवस की यही कामना,
आनंद-ही-आनंद हो आपके मन-उपवन में.”

 

 

हमारी शुभकामना है, कि उपलब्धियों के राजकुमार की उपलब्धियां दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती रहें और हम उनकी वैविध्यपूर्ण शुद्ध साहित्यिक रचनाओं से उत्प्रेरणा प्राप्त करते रहें. राजकुमार भाई, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ एक बार फिर आपको जन्मदिन मुबारक. हमारे पूरे परिवार व अपना ब्लॉग परिवार की तरफ से आपको जन्मदिवस की कोटिशः शुभकामनाएं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244