पुस्तक समीक्षा

समीक्षा – “अन्तस के बोल”

ANTAS KE BOL

. श्री राम दीक्षित “आभास ” कृत “अन्तस के बोल” काव्य संग्रह पढ़ा !
युवा रचनाकार का यह प्रथम लेकिन गंभीर प्रयास है कहना अतिशियोक्ति नही होगा!
जहां आज युवा मंच की ओर पलायन करना चाहता है …रातो रात नामचीन बन जाना चाहता है, इस आपा धापी में वह वस्तुतः कविता से दूर हो केवल सस्ती तुकबंदी पर ही ध्यान लगाकर अपनी काव्य प्रतिभा को असमय नष्ट कर लेता है !

वहीं श्री आभास जैसे युवा साहित्य के प्रति सजग व कोमल भाव रखते हुए शनैः शनैः साहित्य को समृद्ध करने का सुकार्य भी कर रहे हैं !

काव्य संकलन अपनी कुछ कविताओं के लिए सदैव याद किया जाएगा ,यह मेरा मत है !

१.क्यूँ कोई जन कवि होता है?
पलता रहता अभाव में ,
सहनशीलता संचित स्वभाव में ,
कर आगे को बढ़ता है !!

२. यह पूछ रही है अंतर से,
थोडा सा हँस कर ऊपर से ,
कोई तो कह दे दिनकर से,
है कहां ह्रदय का उजियारा,
नयनो से बहती जलधारा !!

श्री आभास की कविताएं शिल्प , बिम्ब, प्रतीकों से सजी धजी है, भाषा पर कवि की अच्छी पकड़ उसे समकालीन कवियों में विशिष्ट बनाती है !

एक सार्थक काव्य ग्रंथ के लिए श्री आभास को कोटिशः बधाई देता हूँ

– अनित्य नारायण मिश्र

बेबाक जौनपुरी

राम दीक्षित 'आभास'

राम मिलन दीक्षित 'आभास' , माता- प्रेम लता दीक्षित , पिता- राम प्रकाश दीक्षित , जन्म - 18 अगस्त 1987 , स्थायी निवास - ग्राम-पोस्ट अम्बरपुर, सिधौली, जिला सीतापुर (उ.प्र.) , शिक्षा - स्नातक , पुरस्कार - सी.ए. परीक्षा के लिए गोल्ड मैडल एवं प्रमाण पत्र , प्रकाशित कृति - "अन्तस के बोल" (काव्य संग्रह) , विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशन , लेखन विधाएं - छंद , कविता, कहानी , उपन्यास , ग़ज़ल , व्यंग्य , निबन्ध, आलेख , वर्तमान पता- सत्य सदन, 1/118, सेक्टर 1, जानकीपुरम विस्तार , लखनऊ - 226031 Mob. 09919120222 email- rammdixit1@gmail.com