कविता

कविता : काश !

काश !
इस अधुरे रिश्ते को
सम्पूर्ण कर जाते
मेरी सांसों  में
कुछ राहत की बूँदें
भर जाते ।
इन आँखों में बैठी
आस को
जीवन दे जाते ।
तेरा जाना तय था
जाने के लिए ही सही
एक बार ! सिर्फ एक बार ,
लौट कर
आ जाते …
देहरी पर
रूह को बैठे
जमाना हो गया …!

मंजुला उपाध्याय 'मंजुल'

जन्म तिथि 16 जुलाई 1962, गृहिणी, स्वतंत्र लेखन. पता- सम्राट चौक पू्र्णियाँ -854301 (बिहार) मो. 09431865979