मुक्तक/दोहा

प्रेरक दोहे

अब तो अपनी सोच को,बदलो पाकिस्तान ।

घर में घुसकर  मारते,जब  लेते  हम  ठान ।।

निकल गया जो हाथ से,बाद मिले नहि तोय ।
बचा हुआ जो  पास  है,काहे  उसको  खोय ।।

सदा समय का ध्यान रख,न करो व्यर्थ व्यतीत ।
अंत  विजय  तेरी  रहे,कहे  जगत  की  नीति ।।

काल घडी नित बढ़ रही,समय रहा है बीत ।
आज अभी जो चल रहा,बीते बने अतीत ।।

बीते   पल   भूलो   नही,बीते   से  लो  ज्ञान ।
कहाँ कमी थी रह गयी,उसका रखना ध्यान ।।

समय सीख देता सदा,रखो समय का ध्यान ।
बीते  बाते  याद  रख,करो  आज  निर्माण ।।
मौन  साद  मौनी  बनो,तजो   दोष  वाचाल ।
मन भीतर जो व्याप्त है,कहो नही वह हाल ।।

धक धक धक धड़के सदा,करे रक्त संचार ।
भावो से परिपूर्ण है,यही  हृदय  का  सार ।।

भोर भयी भानू उठा,उदधि क्षीर के पार ।
कर्मवीर करले कर्म,भली  करे करतार ।।

प्रेम रूप गुण से रहित,लेश मात्र नहि काम ।
बना समर्पण के लिये,पर  ये  नही  गुलाम ।।

भानु उदय रक्तिम हुआ,छिपे  रूप  ले  लाल ।
सुख दुख में तुम भी रखो,सदा एक ही चाल ।।

साँझ  सवेरे  सब  करो,राम  नाम  का जाप ।
जन्म सफल प्रभुजी करे,और नष्ट सब पाप ।।

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नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
   श्रोत्रिय निवास बयाना

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