गीत/नवगीत

गीत : नेता सब गूंगे बहरे हैं …

लहू लुहान है माँ का आँचल ,दाग बड़े ही गहरे हैं
किससे अब फरियाद करें? नेता सब गूंगे बहरे हैं …
जैड सुरक्षा, एसी -कारें,महल चाहिये जीवन भर.
रोज हवाई दौरा करते ,पैर न रक्खें धरती पर.
नई नई चालें चलके नित, करते माल तिजोरी में
टैक्स लगा कर नये नये, सबका जीना करते दूभर.
टीवी के परदे पर ये दिखलाते ख्वाब सुनहरे हैं
किससे अब फरियाद करें नेता सब गूंगे बहरे हैं … ( 1 )
वोट बैंक की राजनीति में जनता को उकसाते हैं ,
चेलों के जरिए जनता पर दाँव पेंच चलवाते हैं ,
लड़वाते आपस में सबको, परदे के पीछे रह कर.
वीर शहीदों के शव पर भी ,राजनीति कर जाते हैं ,
जनमानस की आवाजों पर लगते सौ सौ पहरे हैं
किससे अब फरियाद करें नेता सब गूंगे बहरे हैं. …( 2 )
जागो सोये शेरों दुश्मन, ने हमको ललकारा है
समय नहीं सोने का भारत ,माँ ने आज पुकारा है
प्राण हथेली पर लेकर ,दागो बंदूकें दुश्मन पर
बतलादो दुनिया को ये ,जम्मू कश्मीर हमारा है
पर कैसे पहचाने घर – भेदी के कितने चेहरे हैं .
किससे अब फरियाद करें नेता गूंगे और बहरे हैं. ..( 3 )
लता यादव

लता यादव

अपने बारे में बताने लायक एसा कुछ भी नहीं । मध्यम वर्गीय परिवार में जनमी, बड़ी संतान, आकांक्षाओ का केंद्र बिन्दु । माता-पिता के दुर्घटना ग्रस्त होने के कारण उपचार, गृहकार्य एवं अपनी व दो भाइयों वएकबहन की पढ़ाई । बूढ़े दादाजी हम सबके रखवाले थे माता पिता दादाजी स्वयं काफी पढ़े लिखे थे, अतः घरमें पढ़़ाई का वातावरण था । मैंने विषम परिस्थितियों के बीच M.A.,B.Sc,L.T.किया लेखन का शौक पूरा न हो सका अब पति के देहावसान के बाद पुनः लिखना प्रारम्भ किया है । बस यही मेरी कहानी है