संस्मरण

सबक

1992 की बात है उस समय मेरी उम्र यही कुछ 11 साल रही होगी l कक्षा 5 का छात्र था l हम चार भाई बहन थे l, मेरे पिता जी की आमदनी बहुत नहीं थी, लेकिन उन्होंने हम लोगों को पढ़ाने में कोई कसर नही छोड़ी l मैं शहर के सबसे अच्छे स्कूलों में से एक स्कूल में पढता था l चूँकि शहर के अच्छे स्कूलों में शुमार था इसीलिए वहां ज्यादातर पैसे वाले घरों के बच्चे पढ़ते थे l उन बच्चों के बीच मैं मैं थोड़ा अलग थलग महसूस करता था l वहां मेरे मकान मालिक का लड़का जो कि मेरे ही क्लास में था उसके अलावा केवल ३-४ ही और दोस्त थे पूरी क्लास में l

हमारे यहाँ जनवरी में रामलीला होती है है और मेला लगता है l वो रामलीला मैदान मेरे घर के रस्ते में ही था l मेरी क्लास के सारे बच्चे मेले के लिए रोज पैसे लेकर आते थे l मैं भी दोस्तों के साथ साथ थोड़ी देर मेला घूम लेता था l लेकिन घर से पैसे नहीं मिलने के कारण मेले में कुछ खरीद नहीं पाता था l दोस्तों को पैसा खर्च करते देख मैंने एक दिन एक दोस्त से पूछ लिया कि तुम्हारे घर में रोज पैसे कौन देता है मेले के लिए ? कोई बोला मम्मी तो कोई दादी l एक दोस्त बोला मैं पापा की जेब से निकाल लेता हूँ l उसकी बात सुनकर मैं चौंक गया, मैंने पूछा पापा जान नहीं जाते जब उनकी जेब से पैसे निकाल लेते हो ? तो उसका जबाब की छुट्टे पैसे (सिक्के) निकालने से उनको कुछ नहीं पाता चलता l
उसकी बात सुनकर मेरे मन में भी चोर घुस गया l मुझे लगा की अगर मैं भी पापा की जेब से अगर एक दो सिक्के निकाल लूंगा तो उन्हें शायद पता ही नहीं चलेगा l ये सोचकर अगले ही दिन मैंने पापा की जेब से एक रूपये का सिक्का निकाल लिया l पुरे दिन स्कूल में मन नहीं लगा, ऐसा लग रहा था की घर जाते ही कहीं पापा की मार ना खानी पड़े l लेकिन जब अपने दोस्त से बात की जो रोज पापा की जेब से पैसे निकाल के लाता था, तो उसने कहा चिंता मत करो कुछ नहीं होगा l स्कूल से आते समय मेले में वो पैसे खर्च कर लिए l घर आकर देखा तो सब कुछ रोज की ही तरह सामान्य था l फिर तो ये सिलसिला चल निकला l एक दो बार पापा लो लगा की पैसे किसी ने निकाल लिए हैं लेकिन उन्हें मेरे बड़े भाई पर शक हुआ मुझ पर नहीं l उन्होंने ये बात मम्मी को बताई, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी l इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गयी l
लेकिन अपराध कभी ना कभी सामने आ ही जाता है l एक बार घर में मैं, मम्मी और पापा ही थे l उस दिन मैंने उनकी जेब से ५ रूपये का नोट निकाल लिया l शाम को छुट्टी के बाद मेले में मस्ती करके वापस आया तो मम्मी बहुत गुस्से में थी l मुझसे बोली तुमने पापा की जेब से पैसे निकाले ? मेरे काटो तो खून नहीं l मैं बहुत डर गया था l मम्मी ने मेरी पिटाई भी की l लेकिन मुझे डर था कि जब पापा आएंगे तब क्या होगा ? जब तक पापा घर नहीं आ गए मुझे कई तरह के विचार आये, कभी लगा कि घर छोड़ के भाग जाऊं l फिर सोचा कहाँ जाऊंगा ? फिर सोचा ज्यादा से ज्यादा पिटाई ही तो लगाएंगे, मार खा लूंगा माफ़ी मांग लूंगा l
पापा के आने तक एक एक पल एक साल जैसा कटा l जब पापा आये तो मैं दूसरे कमरे में चला गया l कुछ देर बात मम्मी ने पापा को सारी बात बताई l पापा ने मुझे बुलाया l मुझे लगा अब तो शायद डंडे से पिटाई होगी l लेकिन मेरी सोच के विपरीत उन्होंने बोला कल मैं तुम्हारे स्कूल जाऊंगा और तुम्हारे क्लास के सारे बच्चों के सामने तुम्हारी चोरी वाली बात बताऊंगा l ये सुनकर मैं अंदर तक कांप गया l ये मेरे लिए मार से भी बड़ी सजा थी l पूरी क्लास के सामने मेरी बदनामी होती, मैं उनकी नजरों में चोर बन जाता l मैंने पापा से माफ़ी मांगी और दोबारा ऐसा कभी ना करने की कसम खायी l उन्होंने और कुछ नहीं बोला l सब लोग कहना खाकर सोने चले गए l उस रात मुझे नींद नहीं आयी l एक दो बार अगर झपकी आ भी जाती तो सामने वही दृश्य होता कि पूरी क्लास मेरा मजाक बना रही है l सुबह स्कूल जाते समय भी मेरे मम्मी से कहा कि पापा को मना लेना, अब मैं ऐसा दोबारा कभी नहीं करूँगा l मम्मी ने कोई जबाब नहीं दिया l बुझे मन से स्कूल पहुंचा l पढ़ने में मन तो खैर क्या लगता हर समय नजर क्लास के गेट पर लगी रही कि पता नहीं पापा कब आ जाएँ l लेकिन जब छुट्टी के समय तक पापा नहीं आये तो जान में जान आयी l घर आकर जब माँ से पूछा तो उन्होंने बोला कि ये गलती अब दोबारा नहीं होनी चहिये l मैंने इस बार पापा को मना लिया है l मैंने मम्मी से कहा कि अब कभी ऐसा दोबारा नहीं होगा l ऐसा लग रहा था कि दिल से एक बहुत बड़ा पत्थर हट गया था l मन बहुत हल्का महसूस कर रहा था l माँ बाप का दिया हुआ सबक आज भी याद है l अगर पापा ने मुझे मार पीटकर छोड़ दिया होता तो शायद मैं दोबारा भी ऐसी हरकत कर सकता था l लेकिन बदनामी के डर से मैंने दोबारा कभी चोरी नहीं की l