गीत/नवगीत

खेलें खेल श्याम लरकैयां

राधा सयानी संग श्याम
खेलि रहे खेल लरकइयाँ,,,,

धाय चढ़े पेड़ जाके लुके
डालिन की ओट छलिया
कूक रहे ,कोकिल सम
ढूंढे गोरी लिए संग गुइयाँ,,,,,

भटक थकी चार दिसा
सुन सुन नव खगहिं भासा
रूठ मटक बैठ गयी
थकी राधे कदम की छैयां,,,,,,

जानि रुठी राधा रानी
रसिया बोले अपनी बानी
धाय लपकी तरु की डाली
छीनी प्रिय की बंसरिया,,,,,

हिरणी सम चिहुँक भागी
बांधि कटि, प्राण प्रिय की
कोण कोण अह लपट झपट
मधुबन भृमर-भ्रमरिया ,,,,,

जकड़ कटि कन्हाई डोले
खींची बंसी बंधे केश खोले
रख अधर के साधे सप्तस्वर
सुधि खोय झनकी पैजनिया ,,,,

प्रियंवदा अवस्थी

प्रियंवदा अवस्थी

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से साहित्य विषय में स्नातक, सामान्य गृहणी, निवास किदवई नगर कानपुर उत्तर प्रदेश ,पठन तथा लेखन में युवाकाल से ही रूचि , कई समाचार पत्र तथा पत्रिकाओं में प्रकाशित , श्रृंगार रस रुचिकर विधा ,तुकांत अतुकांत काव्य, गीत ग़ज़ल लेख कहानी लिखना शौक है। जीवन दर्शन तथा प्रकृति प्रिय विषय । स्वयं का काव्य संग्रह रत्नाकर प्रकाशन बेदौली इलाहाबाद से 2014 में प्रकाशित ।