गीतिका/ग़ज़ल

भाई का नही भाई है !

खुदा ने देखो कैसी दुनिया ये बनाई है
पैसे का मोल यहाँ भाई का नही भाई है

दया नही है दिल में उसके मांस खाता है
हलाल कर सौ बकरे बन गया कसाई है

कड़ी धूप में श्रम कर के फिर कमाता है
खून पसीना मिली उसकी खरी कमाई है

मंदिर में जाते सभी धन-वैभव मांग लाते है
सबकी खुशी माँगू मैं दिखती मुझे भलाई है

ईमानदारी से कमा कर खुश रह जीता हूँ
मैंने चिंता छोड़ी खुशियाँ लौट फिर आई है

तेरी यादो के संग दिन नही अब कटते है
मुझें जल में बुला के सूख तू तड़पाई है।

-शिवेश अग्रवाल ”नन्हाकवि”

शिवेश हरसूदी

खिरकिया, जिला हरदा (म.प्र.) मो. 8109087918, 7999030310