बाल कहानी

बाल कहानी : काँच का प्याला

रोज की तरह आज भी आठ वर्ष का चुनमुन आटे की गोलियों की पोटली लिए अपनी आई के साथ जल्दी-जल्दी गंगा जी की ओर बढ़ा जा रहा था ! उसे तो बस अपनी प्यारी-प्यारी मछलियों को अपने हाथों से खाना खिलाना था ! वह वहाँ किनारे पर बैठकर पानी की मचलती लहरों में चाँदी के रंग की सी चमकती हुई, अठखेलियाँ करती मछलियों को निहारा करता था ! वह उन्हें बहुत प्यार करता था ! उन्हें खाना खिलाते हुए, चुनमुन को लगता था कि मछलियाँ उसे देखकर बहुत खुश होती हैं और आपस में गिटर-पिटर कुछ बातें भी करती हैं ! उसे चिंता थी कि नदियों के पानी में काँटेदार पौधे और जहरीले जीव-जंतु भी होते हैं ! उसकी नाजुक मछलियाँ तैरते-तैरते कहीं उनका शिकार ना बन जायें!

गंगा जी के किनारे पहुँचते ही चुनमुन अपनी मछलियों के पास जैसे ही भागा-भागा गया, उसके तो होश ही उड़ गये ! आज मछलियाँ पानी में तैर नहीं रहीं थीं ! बल्कि मछलियाँ पानी की ऊपरी सतह पर उलटी-पुलटी सी उतरा रही थी ! वे सब मर चुकी थीं ! किसी असंवेदनशील व्यक्ति ने जहरीला कचरा गंगा जी में उड़ेल कर, पानी को दूषित कर दिया था ! अपनी प्यारी मछलियों को खोने के गम में चुनमुन की कोमल भावनाओं को असहनीय ठेस पहुंची थी ! दुःख भरे रुदन साथ चुनमुन की आँखों से आँसुओं की अविरल धारा बही जा रही थी  ! जो रुकने का नाम ही नहीं ले रहीं थीं !

प्रेरणा गुप्ता, कानपुर

प्रेरणा गुप्ता

१- नाम - प्रेरणा गुप्ता २- जन्म तिथि और स्थान - ५ फरवरी १९६२, राजस्थान ३ -शिक्षा - स्नातक संगीत ४ - कार्यक्षेत्र - संगीत ,समाज सेवा ,आध्यात्म और साहित्य ५ -प्रकाशित कृतियाँ - कुछ रचनाएँ पत्र - पत्रिकाओं एवं वेब पर प्रकाशित ६ - सम्मान व पुरस्कार - गायन मंच पर ७ - संप्रति - स्वतंत्र लेखन ८ - ईमेल - prernaomm@gmail.com