गीत/नवगीत

गीत : आओ ऐसा दीप जलायें

 

आओ ऐसा दीप जलायें
सबके मन रौशन हो जायें

अँधियारे सब माफ़ी माँगे
हाथ जोड़ घर-घर से भागें
और लौटकर कभी न आयें
आओ ऐसा दीप जलायें

खुशियों की फुलझड़ियाँ फूटें
अपने अपनों से ना रूठें
सारे शिकवे-गिले मिटायें
आओ ऐसा दीप जलायें

फैले ऐसी ज्योति निराली
आँगन-आँगन हो दीवाली
चेहरों पर खुशियाँ मुस्कायें
आओ ऐसा दीप जलायें

—  डॉ. कमलेश द्विवेदी