कविता

मेरे वीर सिपाही ।

आंगन रोशन आज है क्यों जरा शहीदों की भी याद रहे ।
याद रहे हाँ याद रहे भारत वीरों की भी याद रहे ।।

ख़ुशी तुम्हारी आज है जो वो कल उतनी ही उनकी भी थी
सीने छलनी करवा डाले उन हीरों की भी याद रहे ।।

घर वापस आऊँगा जल्दी जो ये कहकर के चले गए।
घायल सीने उस घर के भी हैं उन तीरों की भी याद रहे ।।

उजड़ी मांगें ,सूनी गोदे ,बच्चों की आस भी टूट गयी ,
बस सांसें कैद हैं पिंजरों में उन पीरों की भी याद रहे ।।

मने दीवाली खूब मगर उन वीरों का वलिदानयाद रहे
दीप दीप मुस्काये जब तब उन धीरों की भी याद रहे ।।