मैं उजाला और दीपावली
बह हमसे बोले हँसकर कि आज है दीवाली उदास क्यों है दीखता क्यों बजा रहा नहीं ताली मैं कैसें उनसे
Read Moreबह हमसे बोले हँसकर कि आज है दीवाली उदास क्यों है दीखता क्यों बजा रहा नहीं ताली मैं कैसें उनसे
Read Moreदिवाली और मेरे शेर दिवाली का पर्व है फिर अँधेरे में हम क्यों रहें चलो हम अपने अहम् को जलाकर
Read Moreकाये कौन कौन है खुशबू आ रही है हाँ सब है तुम भी आओ छोटा है या बड़ा आरे आ
Read Moreवो कब की जग चुकी थी, लेकिन उनकी 80 वर्षीया वृद्धायी चेहरा पर सिकन, थकावट और उस जगह का अजनबीपन
Read Moreगाँव का लंगोटिया ‘यार’ आज मुझसे मिलने को घर आया । मुझसे मात्र ‘1’ दिवसीय या one day बड़ा है
Read Moreओ३म् आर्य समाज के साहित्य के प्रमुख प्रकाशकों में एक नाम है श्री ‘घूडमल प्रहलादकुमार आर्य धर्मार्थ न्यास, हिण्डौन सिटी-322230’
Read Moreजलाओ दीप जी भर कर, दिवाली आज आई है। नया उत्साह लाई है, नया विश्वास लाई है।
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