कविता

कविता : एसिड अटेक

झुलसा चेहरा,
धंसी आँखें,
“एसिड विक्टिम”…
है मेरी पहचान !
पलक बिछाये,
था सुनहरा कल,
अब शायद हूँ…
कुछ दिन की मेहमान ! !

कुंठित दानव,
था घात लगाये,
इन्कार की कीमत…
मिली तेजाब !
झुलसी मैं,
झुलसा परिवार,
पीड़ा सही सबने…
बेहिसाब ! !

बिनती मेरी,
बदलो कानून,
न हो कोई एसिड…
का शिकार !
गुनहगार को भी,
ऐसी ही सजा दो,
कि गुनाह करने से काँपे…
हर गुनहगार !

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed