कविताक्षणिका

चढ़ाई-पढ़ाई

सैर पर जाते हुए
उसे मिले ऊंचे-नीचे रास्ते
चढ़ाई चढ़ते हुए वह देती रही
सीधा हो जाने के वास्ते
इसी उधेड़-बुन में आ गई
उसकी चाल में तेज़ी की लहर
क्योंकि
अब आ गई थी उतराई की डगर
अब कोई वजह नहीं थी करने की अगर-मगर
तभी उसके मन में एक मिसाल आई
खूब सबक सिखाती है हमको चढ़ाई
चढ़ाई के बाद आती है उतराई
ठीक उसी तरह जैसे
एक बार अच्छी तरह करलो पढ़ाई
फिर नौकरी या व्यवसाय से कर लो खूब कमाई
यहां भी आ सकती है चढ़ाई और उतराई
याद रखी यह सीख तो फिर
कभी परेशान नहीं करेगी चढ़ाई या फिर उतराई.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244