मुक्तक/दोहा

मुक्तक : व्यर्थ

व्यर्थ में व्यर्थ का, राग आप अलापते,
व्यर्थ ही आग में, आप आहूति डालते।
यज्ञ या चिता नही, ये दावानल प्रचंड है,
व्यर्थ आपके बोल, जो हिय को सालते।

अ कीर्तिवर्धन