उपन्यास अंश

आजादी भाग –९

थोड़ी देर तक चारों सड़क के किनारे बने उस छोटे से खड्डे में दुबके पड़े रहे । पुलीस की जीप सायरन बजाती धीरे धीरे उनके सामने से होते हुए स्टेशन की तरफ चली गयी । दुर जाती सायरन की आवाज से आश्वस्त होकर कि अब पुलीस की गाड़ी चली गयी है चारों उस खड्डे से बाहर निकले ।
पुनः अलाव के गिर्द खड़े चारों अपने अपने हाथ आग में सेंक रहे थे । थोड़ी ही देर में ठण्ड उनपर हावी हो चुकी थी ।
अपनी हथेलियों को जोर से रगड़ते हुए विजय ने बोला ” अब हम भले ही पुलीस को अपना दुश्मन समझें लेकिन सच कहो तो वो हमारी दुश्मन नहीं हमारी बहुत बड़ी मददगार है । ”
सोहन को उसकी बातें पल्ले नहीं पड़ी अतः वह इनकार में सीर हिलाते हुए बोला ” भाई ! मुझे तो ऐसा नहीं लगता । अभी पिछले हफ्ते ही मेरे पहचान का वो रसूल पर्स उड़ाते हुए पकड़ा गया था । लोगों ने उसे पकड़ कर वहीँ खड़े एक सिपाही के हवाले कर दिया । भरी दोपहरी में उस कमीने ने उसे मारते मारते नंगा कर दिया था । मैं भी वहीँ था लेकिन मन ही मन उस पुलिसवाले को गाली देने के अलावा मैं क्या कर सकता था ? ये कभी हमारे मददगार नहीं हो सकते । ”
विजय उसकी तरफ देखकर मुस्कराया और बोला ” उस रसूल का क्या हुआ यह तो मैं तुझको बताऊंगा ही लेकिन अभी तू सिर्फ इतना सोच कि हम लोग यहाँ बैठकर आग ताप रहे हैं और बिना सायरन बजाये अगर कोई गाड़ी यहाँ आ जाये तो ? क्या हम बेे आवाज आनेवाली गाड़ी से सावधान हो पाएंगे ? ये पुलिसवाले आते हुए सायरन बजाकर हमारी मदद ही तो करते हैं । हम उनके आने की खबर जान जाते हैं और छिप कर अपने आपको बचा लेते हैं । अब समझे ? ”
सोहन ने सहमती में सीर हीलाते हुए कहा ” हाँ ! बात तो तुम सही कह रहे हो । ये अगर चुपचाप आते तो हम लोग पकडे जाते । ”
विजय के चेहरे पर छाई मुस्कान गहरी हो गयी । रईस की तरफ देखते हुए बोला ” उस दिन जो रसूल पकड़ा गया था इसी रईस का छोटा भाई है । जब उसे भीड़ के सामने मारने के बाद वह थाने ले जाने के लीये निकला तो मोटरसाइकिल से मैं भी उसके पीछे ही था । अगले चौराहे पर उसने मुझे देखकर गाड़ी रोक दिया था । वह मुझे जानता था । मेरे साथ रईस भी था । वह तो रसूल को छोड़ने के लिए पांच सौ से कम लेने को तैयार ही नहीं था लेकिन बहुत सिफारिश करने पर वह तीन सौ में मान गया था और उसे छोड़ भी दिया था । और तुम्हें लगता है कि उसने रसूल को मारा तो यह भी तुम्हारी भुल है । उसने बड़ी सफाई से रसूल को लोगों के हाथों मार खाने से बचा लीया था । पता है न तेरे लीए यह एक सबक भी है कि कभी भी लोगों के हाथों मत पड़ना । जब कभी पकडे जाने का डर हो तुरंत ही किसी नजदीकी पुलीस चौकी में घुस कर अपना गुनाह कुबूल कर लो । लोगों की मार से बच जाओगे । समझे ? ”

विजय की बातें सुनकर सोहन को हैरत हो रही थी । रईस खामोश रहकर विजय की बात का समर्थन कर रहा था ।
राहुल बड़े ध्यान से उनकी बातें सुन रहा था लेकिन उसका दिमाग उन्हीं सवालों के जवाब खोजने में व्यस्त था जो बड़ी देर से उसे परेशान किये हुए थे । सवाल वही था ‘ इन चोरों के साथ जाना है या नहीं ? ‘

तभी उनकी बहस के बीच रईस ने बहस की दिशा मोड़ते हुए कहा ” भाई ! पुलीस की गाड़ी कभी भी वापस आ सकती है । इससे पहले कि वो लोग फिर से आ जाएँ और हम तीतर बीतर हो जाएँ हमें आज के अपने काम को तय कर लेना चाहिए । रात के दो के लगभग बज रहे हैं । सारा शहर इस वक्त गहरी नींद में सो रहा होगा और यही हमारे लिए सबसे सुरक्षित समय होता है । ”
विजय ने उसे आश्वस्त करते हुए बोला ” ठीक है ! सबसे पहले तो मैं राहुल का जवाब सुनना चाहता हूँ । ” फिर राहुल से मुखातिब होते हुए बोला ” हाँ ! तो तुमने बताया नहीं तुम क्या चाहते हो ? कोई जबरदस्ती नहीं है । तुम चाहो तो इनकार कर सकते हो । ” अब बारी राहुल की थी । बोला ” भाइयों ! अब यहाँ मेरा कोई नहीं है । आप लोग बड़े हैं । जैसा आप कहें मैं करने के लिए तैयार हूँ । बस आप लोग किसी तरह मुझे घर पहुँचने में मदद कर दें । आपका बहुत बड़ा अहसान होगा । ”

विजय ने एक पल कुछ सोचा और फिर सर खुजलाते हुए बोला ” राहुल ! ऐसा है कि हम भी नहीं चाहते कि तुम हमारे साथ अपराध की दुनिया में आओ । लेकिन तुम्हारी भी मज़बूरी है । भले ही तुम्हारी मर्जी न हो लेकिन जीने और खाने के लिए कुछ तो करना ही पड़ेगा । अब इस सोहन को ही देख लो ! इज्जत से जीने के लिए क्या क्या नहीं किया इसने ? कई जगह से ठोकरें खाने और भीख तक मांगने के बाद इसी भोजनालय में काम करने का मौका मिला । इसने दिल लगाकर काम भी किया । लेकिन एक छोटी सी गलती और मामूली से नुकसान के लिए भी इसे पीट पीट कर अधमरा कर दिया गया । अब बताओ ! आगे यह क्या करता ? भीख मांगना इसे गवारा नहीं था । सो यही अंतिम रास्ता था इसके पास । अब रही बात तुम्हारी ! तो तुम्हारी कहानी भी कुछ अलग नहीं है । समझदार इंसान दूसरे के सबक से भी सबक लेते हैं और उसपर अमल करते हैं । जलना कैसा होता है यह महसूस करने के लिए खुद का हाथ जलाना जरुरी है क्या ? अब मैंने सारी बात बता दी है फैसला तुम्हें ही करना है । ”
विजय की बात राहुल के दिमाग में गहरे बैठ गयी थी । वह काफी हद तक उससे प्रभावित था । बोला ” भाई ! आपने सही कहा है । जलना कैसा होता है यह अनुभव करने के लिए खुद का हाथ जलाना जरुरी नहीं होता । सोहन भाई की मिसाल मेरे सामने है ही । अब ज्यादा क्या सोचना । और फिर कहाँ मुझे जिंदगी भर यही करना है । जैसे ही मुझे अपने गाँव का पता किसी तरह से चल जायेगा मैं अपने घर चले जाउंगा । हो सकता है मेरे माँ बाप भी मुझे खोज रहे हों और किसी दिन मैं उनसे मिल जाऊं । भाई ! अब और देर न करो । बताओ क्या करना है ? कहाँ चलना है ? ”
अब कुछ आश्वस्त सा विजय ने सोहन और रईस की तरफ देखा और फिर मुस्करा कर बोला ” तो क्या बोलते हो भाइयों ? आज से राहुल भी हमारा साथी है । ठीक है । किसी को कोई ऐतराज तो नहीं । जैसा कि हम अब तक करते आये हैं जो भी कमायेंगे आज से चार बराबर हिस्से लगेंगे । सबका बराबर हिस्सा होगा । मंजूर है ? ”

” मंजूर है ! ” चारों का सम्मिलित स्वर गूंजा था । आवाज ऊँची न हो जाये इसका उन चारों ने बराबर ध्यान रखा था ।
” ठीक है । फिर चलो । आज का हमारा लक्ष्य है बस अड्डे के पीछे वाली बस्ती । मैंने दोपहर ही घूम कर सब जायजा ले लिया है । उस बस्ती को पानी सप्लाई करने के लिए एक अतिरिक्त पंप रूम बनाया गया है । जहाँ से पानी ऊपर टंकी पर चढ़ा कर बस्ती में वितरित किया जाता है । आज हमें उस पंप रूम में से उस बिजली के मोटर को उड़ाना है । ” विजय ने अपनी योजना समझाई थी ।

 

क्रमशः

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।