कविता

वनवास

हमारी किस्मत ने अभी
कुछ समय और वनवास भोगना है
संघर्षशील इतिहास जो लिखना है
झूठे प्रीतिभोज के परोसे थाल मे से
भूखे पेट की अग्न को और थपथपाना है
अभी सब्र संतोष का पहाड़ा पढ़ कर
खोए सत्य को जो तलाशना है
हमारी किस्मत ने अभी
कुछ समय और वनवास भोगना है
वो जो हमारी खेती लूटने के लिए
खोलते है अंधेरे मे टेंडर
चुग ले जाते है तिनका तिनका खेतों मे से
पीछे छोड़ हमारी तड़पती रूह को
कहते है ढूंढते रहो अंधेरी रातों मे से
आस का सूरज…
लिखते रहो अपनी किस्मत की कहानी
अपनी हाथों की बिवाइयों पर !
अभी बारिश
सागरों के पानियों पर बरसती है !
आपके सरों के थल तो
बूंद बूंद पानी को तरसते ही रहेगें!
क्या हुआ,
उनके लहू मे गर विष का वास है?
हम भी विश्वास के साथ
विष का प्याला पी कर
उन के सर पर तोड़ेगे !
कोई बात नही
गर हमारी किस्मत ने अभी
कुछ समय और वनवास भोगना है!

— रितु शर्मा

रितु शर्मा

नाम _रितु शर्मा सम्प्रति _शिक्षिका पता _हरिद्वार मन के भावो को उकेरना अच्छा लगता हैं