कविता

बेटी

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पल मे खुश
पल मे खफा
पल मे शरारत
पल मे खामोश
पल पल मे बदलती
तेरी अदाये
सबको ही लुभाती है
कभी होठो की मुस्कान
कभी ऑखो की चमक
कभी चेहरो की रौनक
ये तुम्हारी सभी खुबियॉ
सबके दिलो मे घर कर जाती है
इसीलिये तुम सभी को भाती हो
हर घर मे बेटी के रूप में
इसलिये तो तुम मिल जाती हो
तेरी नादानीयॉ
मिठी-मिठी बातो से
अपनी हर जिद्द पूरी करवाना
सब ये तेरी खासियत है
तेरे बिन तो हर घर
सुना सा लगता है
जिस घर मे जन्म लेती बेटियॉ
वो घर जन्नत बन जाता है
उनकी किलरारीयों से
घर ऑगन गूँज उठता हैं

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४