नर्मदा नदी स्वच्छ होगी जब कुछ बात होगी
नदियों के संरक्षण में यही गिनती खास होगी
माँ नर्मदा नदी मध्यप्रदेश से लेकर गुजरात तक बहने का कुल सफर 1310 कि मी है (अमरकंटक से खंभात की खाड़ी) नर्मदा नदी की विशेषता है की ये पूर्व से पश्चिम दिशा की और बहती है । और मध्यप्रदेश की जीवन रेखा है । नदी के तट कई प्रसिद्ध धार्मिक नगर , मंदिर ,महल और किले ,सुन्दर घाट निर्मित है इनके महत्व का पुराणों ,ग्रंथों में उल्लेख मिलता है । इनमे से कुछ डूब क्षेत्र में प्रभावित होने से उन्हें ज्यों का त्यों सुरक्षित जगह बसाया गया है । नर्मदा नदी के तट पर दाह संस्कार व् कर्म कांड किया जाता है ।म प्र कि जीवन रेखा माने जाने वाली माँ नर्मदा पर अमावस्या एवं अन्य धार्मिक पर्व पर श्रद्धालु तथा परिक्रमावासी स्नान ,पूजन का कार्य करते है । नदियो को पुनर्जीवित,नदियो को जोड़ने ,प्रदुषण से मुक्त रखने हेतु कई स्थानों पर संस्थाए कार्य कर रही है जो कि पर्यावरण के हित में पुनीत कार्य है ।इसी प्रकार कई घाट पर साफ सफाई के बेहतर इंतजाम होने से घाट की सुंदरता आकर्षित करती एवं स्वच्छता की प्रेरणा प्रदान करती है । धार्मिक पर्व पर पुरे जोश के साथ इन घाटो के मंदिरो कि रंगाई पुताई सफाई कर साफ़ सुथरा सेवा भावी लोग बनाते आरहे है । कई जगहों पर महिलाओ के लिए घाट पर स्नान कि उचित व्यवस्था भी है साथ ही संकेतक पूजन सामग्री ,पत्तल, पन्नी कि थेलिया नारियल आदि के लिए स्थान नियत किया है ताकि नदी में ये सामग्रियां प्रवाहित न हो एवं पानी स्नान ,आचमन योग्य हो सके ।नर्मदा नदी के तट स्थित रहने वाले कई रहवासी अपने घर के निकले गंदे पानी का निकास घर के पीछे करते है और उस गंदे पानी को सोख्ता गड्ढे में समाहित करते है ताकि सीधे गन्दा पानी माँ नर्मदा के स्वच्छ जल में न मिले ऐसी ही तकनिकी प्रक्रिया कुछ यूँ है नदियों पर बनाये जाने वाले श्रंखलाबद्ध स्टॉप डेम में बरसात के बाद उनके गेट लगाए जाने के बाद पानी को श्रृंखलाबद्ध स्टॉप डेमों में संग्रहित कर लेते है और वो पानी खेतों में उद्वहन कर किसान खेती में सिंचाई के लिए उपयोग करते है । इन स्टॉप डेमों में नगर एवं गांवों की नालियों का गन्दा पानी भी मिलता है स्टॉपडेम नहीं बनाये जाने से सीधे गन्दा मिश्रित पानी मुख्य नदी माँ नर्मदा में मिलता था । अब वो पानी वर्तमान में ऐसी ही प्रक्रिया अपनाने से पानी सीधे तोर पर नहीं मिल पाता क्योकिं वो पानी खाद युक्त हो किसानों के खेतों में उदहन कर उपयोग में लिया जाता है । जिससे माँ नर्मदा के जल को प्रदूषण से मुक्त रखने में अपनी भूमिका सही तरीके से अदा कर सकते है ,साथ ही नदी के तट में मिटटी का कटाव रोकने हेतु नदी के तट पर फलदार वृक्ष ज्यादा मात्रा में लगाया जाना चाहिए जिससे परिक्रमा वासी,नदी में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को गर्मी में सुखद छांव एवं फल की प्राप्ति हो सकें । नगर एवं गॉवों में बहने वाले नाले एवं नर्मदा नदी में समाहित होने वाली अन्य नदियों में सर्वप्रथम सुधार होना चाहिए ताकि उनमे मिलने वाले गन्दे पदार्थों की कोई ठोस योजना बनाकर ऐसी व्यवस्था बनाना होगी की गन्दा पानी माँ नर्मदा नदी में समाहित न हो । नदियो को प्रदूषण से मुक्त करने का दायित्व निभाने वाली संस्थाओ को पुरस्कृत कर उन्हें शासन से सहायता मुहैया होना चाहिए ताकि नदियो के शद्धिकरण के द्वारा सभी को शुध्द जल का लाभ मिलकर जल सक्रमण से होने वाली बीमारियो से निजात मिल सके ।साफ -सफाई न होने से भी बीमारिया पनपने के कारण इंसान आर्थिक और शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता है। ज्यादातर सोच को दूर करना होगा की साफ -सफाई करने में शर्म आती है लोग क्या कहेंगे ? किन्तु स्वच्छता न होने से पनपे विभिन्न रोगो से जब पीड़ित होते है तब स्वच्छता की बाते अपने आप ही समझ में आ जाती है। स्वच्छता का संदेश और जागरूकता लाना हर इंसान का कर्तव्य है |क्योंकि स्वच्छता से ही बीमारियो ,प्रदूषण को मुक्त रख कर स्वस्थ्यता का लाभ हमें एक नई दिशा प्रदान कर सकता है | साफ सफाई करने हेतु आपस में सहयोग की भावना को बढावा देकर स्वच्छ नदी एवम प्रदुषण मुक्त नदी बनाने का संकल्प लेना होगा ताकि स्वस्थ गाँव -शहर समाज के निर्माण में अपनी भागीदारी को सुनिश्चित किया जा कर विश्व स्वास्थ्य संगठन के लक्ष्य को पूरा करने में हम सभी मिलकर सहयोग कर स्वच्छ नगर एवं नदियों की स्वच्छता बनाये रखने में बेहतर तरीके से अपनी भूमिका अदा कर सके। हम सबका एक ही उद्देश्य है की नर्मदा का संरक्षण और उसे प्रदुषण मुक्त करे.
— संजय वर्मा “दृष्टी “
125 शहीद भगत सिंग मार्ग
मनावर जिला -धार (म प्र )