कविता

कविता : पहला कदम

घेरे हुए थे मुझे चारों ओर से
पीड़ामय जग के सारे बादल काले
अपनी अँधेरी झोंपड़ी में
अकेले बैठा मैं
देख रहा था आशा में
अंबर की हर चमक
कि अब खुल जायेगा जीवन का रास्ता
निराशा की टप-टप बूँदें बदल गयीं
वर्षा की झड़ी में
भिगो गयी मुझे अंदर तक.
बहने लगी गली-गली में नदी बनकर
गंदा पानी
मल-मूत्र की बदबू फैलाता
नहीं कर पाता साहस
बाहर निकलने का
देने लगी निमंत्रण मौन की निशा
आओ, चुप्पी की गोद में सो जाओ,
मेरे अंदर की भूख और प्यास की जलन
बन गयी वेदना का गीत
सूख गए आँसू हृदय के रेगिस्तानी में
दीनता की गाथा ने आज स्याही बन
निकाला है गली में
पहला कदम ।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।