कविता

समोसा

कौन कहता है ठंड है
खोजा बहुत मिला नहीं
उत्तर से दक्षिण तक
सैर किया
दिल्ली दिलवालों की नगरी में गया
वहाँ चौहान जी मिले
कुशल क्षेम पूछी
कैसे हुआ आना ?
खोज रहा था ठंडी को
अरे मिश्रा जी ठंडी खोजना
हो उत्तरांचल में आना !
यहाँ तो —
गरमी का है जमाना !
उनकी बातों पर नहीं हुआ विश्वास!
आया मुंबई चल दिया मद्रास !
रास्ते में गुलबर्गा मिला
यार गुंटूर !
डोसा इटली सांभर बड़ा
वहाँ पर था समोसा खड़ा !
बोला भाई यूपी से आए हो ?
इधर उधर गर्दन घुमाया !
चिरपरिचित सभी को नदारद पाया !
हौले से समोसा मुस्कुराया!
मेरा रंग मत देख !
मै समोसा हूँ !
नये परिधान में सजकर आया हूँ !
आलू के साथ देखे थे आप
यहाँ मै पत्तागोभी के साथ आया हूँ!
चेन्नई में प्याज के साथ पाएँगे !
ये मेरे नये रूप है
आप नहीं समझ पाएँगे !

राजकिशोर मिश्र ‘राज’
२६/१२/२०१६

 

राज किशोर मिश्र 'राज'

संक्षिप्त परिचय मै राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी कवि , लेखक , साहित्यकार हूँ । लेखन मेरा शौक - शब्द -शब्द की मणिका पिरो का बनाता हूँ छंद, यति गति अलंकारित भावों से उदभित रसना का माधुर्य भाव ही मेरा परिचय है १९९६ में राजनीति शास्त्र से परास्नातक डा . राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय से राजनैतिक विचारको के विचारों गहन अध्ययन व्याकरण और छ्न्द विधाओं को समझने /जानने का दौर रहा । प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश मेरी शिक्षा स्थली रही ,अपने अंतर्मन भावों को सहज छ्न्द मणिका में पिरों कर साकार रूप प्रदान करते हुए कवि धर्म का निर्वहन करता हूँ । संदेशपद सामयिक परिदृश्य मेरी लेखनी के ओज एवम् प्रेरणा स्रोत हैं । वार्णिक , मात्रिक, छ्न्दमुक्त रचनाओं के साथ -साथ गद्य विधा में उपन्यास , एकांकी , कहानी सतत लिखता रहता हूँ । प्रकाशित साझा संकलन - युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच का उत्कर्ष संग्रह २०१५ , अब तो २०१६, रजनीगंधा , विहग प्रीति के , आदि यत्र तत्र पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं सम्मान --- युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच से साहित्य गौरव सम्मान , सशक्त लेखनी सम्मान , साहित्य सरोज सारस्वत सम्मान आदि