कविता

विनती

विनती

बाबरी की न बात करेंगे
तुम्हारी जय दिन-रात करेंगे ।
हमें हमारा राम मिला दो
बाबुजी जल्दी से अब
वहीं हमारा मंदिर बनवा दो ।।

राम ने तुम्हे सरकार बनाया
झोपड़े से कोठी दिलवाया ।
हमारे सपनों को भी तुम अब साकार बना दो
बाबुजी जल्दी से अब
बस तुम हमारा मंदिर बनवा दो ।।

रहते हैं हम महलों में
बैठे हैं प्रभु तम्बू में ।
ए कैसी काल की माया है
बेघर हैं प्रभु आज ‘जम्बू’ में ।।

अपनी फरियाद करने को
झोली फैलाए खड़े हैं हम ।
राम की फिकर किसी को न
वे झेल रहें हैं कितने सितम ।।

जिस आयोध्या में जनम लिया
वही आज बेगाना है ।
क्या कायरों के स्वामी हैं प्रभु
या हो गए सभी जनाना हैं ?

कुछ पापीयों से हारे हो तुम
चलो सबको ये समझाना है ।
राम भक्त तुम बजरंगी हो
दुनिया को फिर से ए बतलाना है ।।

नहीं सुन रहें हैं जो वो
तुम्हारी-मेरी फरियाद को ।
चलो सितमगरों को अब
सौ करोड़ की मुठ्ठी दिखलाना है ।।

वोट की भाषा समझते हैं वे
तो बस एक-एक ईंट ही मंगवाना है ।
आओ रामभक्तों अब
मिलकर भव्य मंदिर वहीं बनवाना है ।।

ना झगड़े ना अब प्रहार से
मनाना है सबको पुष्पहार से ।
आंखों में रक्त भरकर
अपने बेईमानों को तिरस्कार से ।।

अपने ही हैं वो
जो टांग अड़ाए बैठे हैं ।
कुर्सी के चक्कर में
पूरी तरह बौराए हैं ।।

समय की है मांग
अब सबको औकात दिखलाना है ।
राम की तम्बू टूट गई है
चलो प्रभु का गृहप्रवेश करवाना है ।।

आओ उन्हे अब गले लगाकर
प्रेम से समझाना है ।
बजरंगी रूठ गए हैं हमसे
चलो मंदिर में उन्हे हंसाना है ।।

आओ रामभक्तों अब
आयोध्या को दुल्हन की तरह सजाना है ।
बाबुजी अब दे दो साथ
हमें राम का घर उन्हे दिलाना है ।।

मुकेश सिंह
सिलापथार,असम
09706838045

मुकेश सिंह

परिचय: अपनी पसंद को लेखनी बनाने वाले मुकेश सिंह असम के सिलापथार में बसे हुए हैंl आपका जन्म १९८८ में हुआ हैl शिक्षा स्नातक(राजनीति विज्ञान) है और अब तक विभिन्न राष्ट्रीय-प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक कविताएं व अनेक लेख प्रकाशित हुए हैंl तीन ई-बुक्स भी प्रकाशित हुई हैं। आप अलग-अलग मुद्दों पर कलम चलाते रहते हैंl