गीतिका/ग़ज़ल

मुस्कान

उसकी मुस्कान पर ये दिल मचल गया साहिब,
जैसे अंधियार में कोई चिराग जल गया साहिब।।

उसके दुपट्टे ने मेरी घड़ी छुई जब से,
तब से वक्त अपना भी बदल गया साहिब।।

घर के आइने ने ये बात कही है मुझसे,
जादू किसी का तेरे रुख पे चल गया साहिब।।

कड़ा होकर के तूफ़ान से कोई लड़ न सका,
लचीला पेड़ ही गिर के संभल गया साहिब।।

लेखक – नीरज पांडेय

नीरज पाण्डेय

नाम- नीरज पाण्डेय पता- तह. सिहोरा, जिला जबलपुर (म.प्र.) योग्यता- एम. ए. ,PGDCA Mo..09826671334 "ना जमीं में हूँ,ना आशमां में हूँ, तुझे छूकर जो गुजरी,मैं उस हवा में हूँ"